बिहार में विधानसभा चुनाव पास आते ही राजनीतिक बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार राजद के राजनीतिक दृष्टिकोण से बड़ा दिन रहा है। राजद के लिए मंगलवार का दिन अच्छा नहीं पूरे दिन पार्टी के लिए मुश्किल भरा रहा। एक ओर राजद के पांच विधान पार्षद जदयू में शामिल हो गए। वहीं दूसरी ओर इनके पार्टी छोड़ने से राबडी देवी के नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी जाने की संभावना बन गई। अंत में बची खुची कसर रघुवंश प्रसाद सिंह ने पूरी कर दी।
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राजद के पांच विधान पार्षदों ने जदयू का दामन थाम लिया। राजद के ओर से विधान पार्षद दिलीप राय, राधाचरण सेठ, संजय प्रसाद, कमरे आलम और रणविजय सिंह ने पार्टी छोड़ दी। इसके बाद रीना यादव ने पत्र देकर विधान परिषद में आए सभी राजद के सदस्यों को जदयू में सदस्यता दिला दी। पार्टी के पूर्व मंत्री भोला राय के समर्थकों ने राबड़ी देवी के आवास पर जम कर हंगामा किया। इन पाचं विधान पार्षदों के शामिल होने के कारण अब राबड़ी देवी की कुर्सी खतरे में बताई जाती है। बिहार विधान परिषद में कुल 75 सीटें है और विपक्ष के ने लिए 8 सीटें होनी आवश्यक है। राजद कोटे के पांच विधान पार्षदों के जदयू में शामिल होने से अब केवल 3 बचे हैं। इससे राबड़ी देवी के लिए अब मुश्किल आ सकती है।
राजद के वरिष्ट नेता पार्टी से नाराज
मामला यहीं नहीं थमा। राजद के लिए मंगलवार को पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने मुश्किल खड़ी कर दी। वे रामा सिंह के राजद में शामिल होने से नाराज बताए जाते हैं। रामा सिंह का एक समय लालू यादव और रघुवंश प्रसाद से विरोध रहता था। अभी रघुवंश प्रसाद का पटना एम्स में इलाज चल रहा है। वे अपने ड्राइवर के साथ कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। रामा देवी ने पिछले दिनों तेजस्वी यादव से मुलाकात कर राजद में शामिल हुई हैं। उनके साथ कई अन्य लोग भी राजद में आए हैं।