“राज्य के शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में ‘मानवाधिकार’ से जुड़े अध्यायों को प्रमुखतापूर्वक शामिल किया जाना श्रेयस्कर होगा। इससे नयी पीढ़ी को मानवाधिकारों के प्रति सजग और संवेदनशील बनाने में मदद मिलेगी।”-उक्त विचार, महामहिम राज्यपाल श्री फागू चैहान ने स्थानीय अधिवेशन भवन सभागार में आज आयोजित ‘अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस 2019’ एवं ‘बिहार मानवाधिकार आयोग के ‘11वें स्थापना दिवस समारोह’ का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किए।
राज्यपाल श्री चैहान ने कहा कि सामाजिक समरसता और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाये रखने के लिए मानवाधिकारों का संरक्षण नितांत आवश्यक है, क्योंकि मानवाधिकार वस्तुतः स्वतंत्रता, समानता एवं गरिमा के अधिकार हैं। नागरिकों को सामान्य रूप से विभिन्न प्रकार के कानूनों से अधिकार प्राप्त होते हैं, परन्तु ‘मानवाधिकार’ नागरिकों के जन्मसिद्ध अधिकार हैं, जिन्हें कानून बनाकर संरक्षण दिया गया है।
कमजोर वर्ग के प्रति संवेदनशीलता दिखाने की आवश्यकता
राज्यपाल श्री चैहान ने कहा कि मानवाधिकारों के संरक्षण के जरिये समाज के असंगठित क्षेत्रों में कार्य करने वाले उपेक्षित एवं कमजोर वर्ग के व्यक्तियों के प्रति विशेष संवेदनशीलता दिखाने की आवश्यकता है, चूँकि ऐसे वर्ग के व्यक्ति अपने मानवाधिकारों के हनन को प्रमुखता से नहीं उठा पाते तथा अपने मानवाधिकारों का हनन चुपचाप सहन करते हैं। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों के संरक्षण के प्रयासों में विभिन्न गैर सरकारी संगठन एवं मीडिया भी अपनी प्रभावकारी भूमिका निभा सकता है।
राज्यपाल ने कहा कि प्रत्येक नागरिक के मानवाधिकारों का संरक्षण सरकारों का प्रमुख दायित्व होता है। यह तभी संभव है जब सरकार के विभिन्न प्रशासनिक तंत्र, जो विभिन्न प्रकार के कानून, नीतियों, नियमों, कल्याणकारी योजनाओं इत्यादि का कार्यान्वयन करते हैं, वे इन्हें प्रभावकारी ढंग से तत्परतापूर्वक लागू करें। उन्होंने कहा कि संवेदनशील, पारदर्शी एवम् कल्याणकारी शासन ही मानवाधिकारों का संरक्षण कर सकता है। सरकार की सभी प्रशासनिक संस्थाओं को इसे ध्यान में रखते हुए कार्य करना चाहिए।
बिहार मानवाधिकार आयोग के क्रियाकलापों पर संतोष
‘बिहार मानवाधिकार आयोग’ के क्रियाकलापों पर संतोष व्यक्त करते हुए राज्यपाल ने कहा कि आयोग में मामलों के पंजीकरण एवं निष्पादन दोनों में पर्याप्त प्रगति हुई है। वर्ष 2008 में जहाँ मात्र 100 मामलों का पंजीयन हुआ था, वहीं सन 2018 में आठ हजार से भी अधिक मामलों को दर्ज किया गया है। राज्यपाल ने अबतक दायर वादों में 85 प्रतिशत से भी अधिक के निष्पादन पर प्रसन्नता व्यक्त की।
समारोह में राज्यपाल ने ‘अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस’ के अवसर पर सभी राज्यवासियों से अपील की कि वे मानवाधिकारों की रक्षा के लिए पूर्ण सजग एवं तत्पर रहें, साथ ही राष्ट्र-निर्माण के प्रति अपने कत्र्तव्यों एवं दायित्वों का भी भरपूर पालन करें। उन्होंने कहा कि अधिकारों के प्रति सजगता के साथ-साथ कर्त्तव्य-पालन के प्रति भी तत्परता बेहद जरूरी है।
समारोह को संबोधित करते हुए ‘बिहार मानवाधिकार आयोग’ के कार्यवाहक अध्यक्ष श्री उज्ज्वल कुमार दूबे ने कहा कि यदि हम अपने कर्तव्यों का त्रुटिपूर्ण परिपालन करते हैं तो ‘मानवाधिकार’ के उल्लंघन के मामलों में स्वतः कमी आ जाएगी। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आयोग के सदस्य पूर्व विकास आयुक्त श्री शशिशेखर शर्मा ने कहा कि ‘मानवाधिकार नैसर्गिक अधिकार’ हैं जो मानवीय अस्तित्व की रक्षा के लिए बेहद जरूरी हैं।
राज्य सरकार हरसंभव करेगी सहयोग
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अपर मुख्य सचिव गृह विभाग श्री आमिर सुबहानी ने कहा कि ‘बिहार मानवाधिकार आयोग’ को राज्य सरकार हरसंभव सहयोग प्रदान करती है और आयोग बेहतर ढंग से काम कर रहा है, जिसकी प्रशंसा ‘राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग’ ने भी की है। समारोह में विचार व्यक्त करते हुए राज्य के पुलिस महानिदेशक श्री गुप्तेश्वर पाण्डेय ने कहा कि मनुष्य के प्राकृतिक अधिकारों के रूप में पूरी दुनियाँ में विख्यात ‘मानवाधिकारों’ की रक्षा हमारा नैतिक और सामाजिक दायित्व भी है। उन्होंने कहा कि ‘मानवाधिकार’ के उल्लंघन के मामलों में यद्यपि कई बार पुलिस पर भी अंगुलियाँ उठती हैं किन्तु समाज में जो हिंसक, उपद्रवी तथा दानवी प्रकृति के असंवेदनशील पेशेवर अपराधी हैं, उनके विरूद्ध कठोर कार्रवाई भी जरूरी होती है।
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अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस 2019 के कार्यक्रम में आयोग की उपलब्धियों पर आयोग के सचिव श्री राजेश कुमार ने ‘प्रेजेन्टेशन’ दिया तथा स्वागत-भाषण किया जबकि उप सचिव श्री गजेन्द्र कुमार सिंह ने धन्यवाद-ज्ञापन किया। कार्यक्रम में जस्टिस श्री संजय कुमार, विभिन्न विभागों के प्रधान सचिव/सचिव/वरीय अधिकारी, जिलों के नोडल अधिकारी, मानवाधिकार कार्यकर्ता आदि उपस्थित थे।