Home बिहार पटना सरकार ने अन्नदाताओं-फण्डदाताओं को बना दी कठपुतली : तेजस्वी

सरकार ने अन्नदाताओं-फण्डदाताओं को बना दी कठपुतली : तेजस्वी

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पटना। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव मंगलवार को एक बार फिर से सरकार पर हमला बोला। तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा कि सरकार ने अन्नदाताओं को अपने फण्डदाताओं की कठपुतली बना दिया। जितनी हड़बड़ी में किसान बिल पास करवाया गया इससे जाहिर होता है कि इसमें कुछ गड़बड़ी है। इस सरकार को किसान की शान और किसान की जान की रत्ती भर भी परवाह नहीं है।

किसान और गरीब विरोधी जदयू-भाजपा ने 2006 में ही एपीएमसी बंद कर दिया था

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी किसानों से संबंधित बिल को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर हमला बोला। लालू प्रसाद के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से सोमवार को किए गए ट्वीट में आरोप लगाया गया कि किसान और गरीब विरोधी जदयू-भाजपा ने बिहार में 2006 में ही एपीएमसी बंद कर दिया था। उन्होंने दावा किया कि उसका दुष्परिणाम यह हुआ कि तब से बिहार सरकार के कुल खाद्यान्न लक्ष्य का एक प्रतिशत भी कभी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा गया। श्री यादव ने कहा कि इससे गरीबी बढ़ी और यह पलायन का मुख्य कारण बना।

कृषि बिल के विरोध का खामियाजा चुनाव में भुगतेगा राजद: सुशील मोदी

वहीं बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि से जुड़े दो बिल पारित कराकर किसानों को यह आजादी दी कि वे अपने उत्पाद अपनी इच्छानुसार जहां चाहे बेच सकते हैं। देशभर के किसानों में इसको लेकर खुशी है। वहीं राजद ने इस बिल का विरोध कर यह जता दिया कि वह किसान विरोधी है। किसानों को फिर से बाजार समितियों के चंगुल में लाने की राजद की साजिश है। इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में राजद भुगतेगा। सुशील मोदी ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से अनाज खरीद पहले की तरह चलती रहेगी। प्रधानमंत्री ने कई बार इस बात को दोहराया पर विपक्ष गलतबयानी कर किसानों को भ्रमित करना चाहता है। राजद शासन में बिहार में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद नहीं होती थी। एनडीए की सरकार बनी तो इस कार्य में तेजी आई। बिहार सरकार वर्ष 2014 में ही बाजार समिति कानून को खत्म कर दिया था। इस कानून को खत्म करने वाला बिहार पहला राज्य है। उन्होंने कहा कि कांट्रेक्ट फॉर्मिंग बिल से भी किसानों को लाभ होगा। इसके तहत किसानों और कंपनियों के बीच लिखित समझौता होगा, उसी के आधार पर किसान तय कीमत पर अपना उत्पाद उन्हें देंगे।

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