Home क्राइम डीएम ने कहा अगर कोरोना से मर जाती तो क्या मुआवजा मिलता?

डीएम ने कहा अगर कोरोना से मर जाती तो क्या मुआवजा मिलता?

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उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश के हाथरस में काफी मशक्कत के बाद आखिरकार तीसरे दिन शनिवार को जिला प्रशासन और पुलिस ने गैंगरेप पीड़िता के परिवार से मिलने की इजाजत मीडिया को दे दी। मौके पर पहुंची मीडिया जब पीड़ित परिवार से मिली तो उसने अपना दर्द बयां किया। उन्होंने बताया कि तीन दिन भारी पुलिस फोर्स के बीच उन्होंने कैसे एक-एक पल गुजारा।

सभी मार रहे मुआवजे का ताना

पीड़ित परिवार सबसे ज्यादा हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार से नाराज दिखा। पीड़िता की मां ने कहा कि डीएम ने तो उनसे ये कहा कि अगर तुम्हारी बेटी अगर कोरोना से मर जाती तो क्या मुआवजा मिलता? मुआवजा तो मिला। पीड़िता की मां ने कहा कि सभी उनके परिवार को मुआवजे लिए ताना मार रहे हैं। उन्होंने पूछा कि क्या इस मुआवजे से मेरी बेटी लौट आएगी?

पता नहीं बहन की बॉडी जलाई या पुतला?: भाई

पीड़िता के भाई ने कहा कि सफ़दरजंग अस्पताल में हमें बॉडी नहीं दी। वहां पूछा तो जवाब मिला हमें नहीं पता। उसके बाद यहां आने के बाद हमें मालूम चला कि रात को ही दाह संस्कार कर रहे हैं। हमने कहा की हम रिवाज़ों के हिसाब से करेंगे। इसके बाद भी हमारी नहीं सुनी गई। हमें ये भी नहीं पता कि जो जली थी वो हमारी बहन भी थी या नहीं? क्या पता कोई पुतला जला दिया गया हो।

सामने आया एसआईटी जांच का झूठ

उन्होंने कहा कि उस दिन के बाद से घर पर, छत पर पुलिस तैनात रही है। हम पर हर वक़्त नज़र रखी जाती थी। पुलिस की यहां हर वक़्त भीड रहती थी। यही नहीं परिवार ने ये भी बताया कि एसआईटी एक दिन आई थी लेकिन शुक्रवार को नहीं आई थी। कल सब झूठ बोला कि अंदर एसआईटी है और इसलिए मीडिया को नहीं जाने दिया।

बता दें इससे पहले सदर एसडीएम प्रेम प्रकाश मीणा ने कहा कि ‘गांव में एसआईटी की जांच पूरी हो चुकी है,ऐसे में मीडिया पर प्रतिबंध हटा दिया गया। 5 से अधिक मीडियाकर्मियों को अब इकट्ठा होने की अनुमति है।’ हाथरस सदर एसडीएम प्रेम प्रकाश मीणा ने पीड़ित परिवार के उन दावों का खंडन किया जिसमें कहा गया था कि अधिकारियों द्वारा फोन छीन लिए गए थे। सदर एसडीएम ने कहा ‘परिवार के सदस्यों के फोन हटाने या उन्हें उनको घरों में कैद करने के बारे में सभी आरोप बिल्कुल निराधार हैं।’

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