बिहार के लोगों को अब मधुमेह जैसी खतरनाक बिमारी को लेकर चिंतित होने की जरुरत नहीं है। राज्यभर में अब आशा कार्यकर्ता पायलट प्रोजेक्ट के तहत घर-घर जाकर 30 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों की मधुमेह जांच करेंगी। स्वास्थ्य विभाग एवं जापान की कंपनी एनईसी के बीच हुए करार के तहत मनेर की चार पंचायतों में 16 आशा कार्यकर्ता पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मधुमेह जांच की शुरुआत करेंगी। वे व्यक्तियों के वजन, लंबाई, कमर की चौड़ाई, दैनिक दिनचर्या इत्यादि का ब्योरा एंड्रॉयड टैबलेट के माध्यम से ऑनलाइन एकत्र करेंगी। सभी मापकों के लिए पूर्व से अंक का निर्धारित होगा। चार अंक से अधिक पाए जाने पर रोगी को एएनएम के माध्यम से नजदीकी अस्पताल के डॉक्टर के पास चिकित्सकीय परामर्श के लिए भेजा जाएगा।
बता दें कि राज्य सरकार ने गैर संचारी रोग मधुमेह की जांच व रोकथाम को लेकर आधुनिक तकनीक के सहयोग से ‘जज्बा’ नामक एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसके नतीजे बेहतर मिलने पर इस प्रोजेक्ट को पूरे राज्य में विस्तार की योजना है। रविवार को स्थानीय होटल में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, सूचना मंत्री नीरज कुमार व सांसद रामकृपाल यादव की मौजूदगी में बिहार सरकार व एनईसी, जापान के बीच करार पत्र पर हस्ताक्षर किया गया।
इस प्रोजेक्ट को सफल करने में जापान की होगी भरपूर कोशिश
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांड्ये ने कहा कि राज्य सरकार स्वास्थ्य जांच सेवाओं को पूरे बिहार में लागू करेगी। गैर संचारी रोगों के नियंत्रण को लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के माध्यम से कई प्रयास किए जा रहे है। इसी क्रम में राज्य सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तकनीक के माध्यम से हो रहे नए प्रयोगों को बिहार में भी अपनाने का निर्णय लिया है। ताकि बिहार के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सके। मंत्री के कथनानुसार दो माह बाद वे पायलट प्रोजेक्ट की समीक्षा करेंगे और सकारात्मक परिणाम आने पर इसे पूरे राज्य में लागू किया जाएगा।
सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार का कहना है कि जलवायु परिवर्तन को लेकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की भी दिनचर्या बदल रही है। बीमारी से बचने के लिए वे सुबह की सैर करने लगे हैं। सांसद रामकृपाल यादव ने कहा कि जापान की तकनीकी मदद से स्वास्थ्य सेवाओं में काफी सुधार होगा। गांव में गरीबों को मधुमेह से बचाव करने में मदद मिलेगी।