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दूसरों के कार्यों का श्रेय लेने के लिए सूबे के पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव हैं अव्वल

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पटना। राज्य में आसन्न बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए इन दिनों सूबे के पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव सोशल मीडिया व अन्य प्रचार माध्यमों से क्षेत्र में किये गए विकास कार्यों का ब्योरा देने लगे हैं। मालूम हो कि वर्ष 1995 से लेकर अभी तक मंत्री क्षेत्र में कोई बड़ा कार्य नहीं किया है। लेकिन मजे की बात है कि दूसरों द्वारा किये गए कार्यों को अपना कहने में वे जरा भी नहीं हिचकिचा रहे हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से श्री यादव चौक शिकारपुर ऊपरी पुल को अपना निर्माण कार्य बता रहे हैं। जबकि सच कुछ और ही है।

मंत्री नंदकिशोर यादव ऊपरी पुल को अपना निर्माण कार्य बता रहे

पटना सिटी के बाशिन्दों को भी पता है कि यूपीय सरकार के समय बिहार में लगे राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल सरदार बुटा सिंह ने पांच पुलों के लिए आवंटन दिया था। आप सबों को याद होगा कि तब तख्त श्री हरमिंदर जी प्रबन्धक कमिटी के सचिव सरदार राजा सिंह और कांग्रेस नेता सरदार गुरदयाल सिंह ने पटना सिटी की जनता के लिए उनसे कुछ मांगा था। सरदार बुटा सिंह ने उनकी मांग पर अपने कार्यकाल के दौरान 12 करोड़ 50 लाख रूपये की राशि शहर में उपरी पुलों के लिए आबंटित किया था। जिसमें अगमकुआं ओवर ब्रिज, चौक शिकारपुर ऊपरी पुल, मेहंदीगंज इत्यादि था। पुरातत्व विभाग की आपत्ति के कारण अगमकुआं ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य बहुत दिनों तक रूका रहा।

बाद में नक्शों में फेरबदल कर कार्य प्रारंभ हुआ। दूसरी ओर मेहंदी गंज ऊपरी पुल का निर्माण गांव के लोगों के विरोध की वजह से स्थगित कर दिया गया। इसके बाद चौक शिकारपुर ऊपरी पुल का कार्य प्रारंभ हुआ। लेकिन इसमें भी कई वर्ष लग गए। निर्माण कार्य के लिए चौक शिकारपुर में खोदे गये गड्ढों में न जाने कितने नागरिक गिरकर घायल हुए। पटना सिटी के सम्मानित संगीतज्ञ पंडित श्याम दास मिश्र की मृत्यु भी इसी गड्ढे में गिरने से हो गई थी।

पटना सिटी के सम्मानित संगीतज्ञ पंडित श्याम दास मिश्र की मृत्यु भी इसी गड्ढे में गिरने से हो गई थी

मंत्री नंदकिशोर यादव ने पटना साहिब स्टेशन की ओर से पुल तक की सड़क का कार्य कराया था वो भी रेलवे द्वारा दी गयी जमीन के बाद। अगमकुआं और चौक शिकारपुर ऊपरी रेलवे से संबंधित था। इसलिए बिहार सरकार ने रेलवे में प्रावधान के तहत पैसा जमा किया तो रेलवे ने अपने हिस्से में निर्माण कराकर एप्रोच सड़क बनाने के लिए दिया। दूर्भाग्य है कि चौक शिकारपुर ऊपरी पुल का उद्घाटन आज तक नहीं हुआ।

शताब्दी पर्व की आड़ में गुरूद्वारा ने पुल पर बड़ा सा निशान साहिब लगा दिया जो सुरक्षा के दृष्टिकोण से गलत था

शिलापट्ट का स्थान तक खाली है। श्री गुरूगोबिन्द सिंह जी महाराज के शताब्दी वर्ष के दौरान इसे चालू कर दिया था। इस शताब्दी पर्व की आड़ में गुरूद्वारा ने पुल पर बड़ा सा निशान साहिब लगा दिया जो सुरक्षा के दृष्टिकोण से गलत था। जिस कारण कुछ दिनों में पुल कुछ क्षतिग्रस्त भी हुआ था। अब स्थानीय लोगों की जुबान से सिर्फ एक ही शब्द निकल रही है कि माननीय,जनता सब देख और समझ रही है।

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