पटना। महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर लगातार किचकिच चल रही है। इसी मसले पर हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने महागठबंधन से नाता तोड़ लिया और फिर से एनडीए का हिस्सा बन गए। इसी बीच बात चली कि लेफ्ट पार्टियों से इस बार राजद और कांग्रेस हाथ मिलाएंगे। लेकिन अब सीपीआई (ML) ने अपनी डिमांड साफ कर दी। सीपीआई (ML) के जेनरल सेक्रेटरी दीपाकंर भट्टाचार्य ने अपनी डिमांड और इरादे स्पष्ट कर दिए।
हम 53 सीटों पर लड़ना चाहते हैं: दीपांकर
दीपांकर के इस डिमांड में पहला सवाल सीट शेयरिंग पर था। दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा ‘बाकी गठबंधनों की तरह ही महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। हमने राजद को उन 53 सीटों की लिस्ट दी है जिसपर हम लंबे समय से लड़ते आ रहे हैं। इस वक्त सीट शेयरिंग पर होनेवाली बातचीत भी अटकी हुई है। हमारी तीन सदस्यीय राज्य कमिटी को राजद से इस बारे में बात करने के लिए अधिकृत किया गया है लेकिन उन्हें इसके लिए राजद को चिट्ठी लिखनी पड़ी। इसका जवाब भी अभी तक नहीं आया है।’
2015 की बात अलग थी,राजद 2019 भी याद रखे
दीपांकर ने इस दौरान कई बातें खुलकर कही। उन्होंने कहा कि ‘राजद अभी भी खुद को 2015 की स्थिति में देख रही है। लेकिन वो ये भूल रही है कि तब नीतीश कुमार (वोट बैंक) उनके साथ थे, इस बार नीतीश भाजपा के साथ हैं। इसीलिए सीट शेयरिंग के लिए 2015 चुनाव को आधार नहीं बनाया जा सकता। राजद को 2019 लोकसभा चुनाव याद रखना चाहिए, इसमें सिर्फ 4 सीट ऐसी थी जिसमें विपक्ष के उम्मीदवार चार लाख से ज्यादा वोट जुटा पाए थे। पाटलीपुत्र सीट को ही ले लीजिए तो इस सीट पर राजद उम्मीदवार (मीसा भारती) चार लाख से ज्यादा वोट हासिल कर पाई थी, जो सिर्फ लेफ्ट के समर्थन की वजह से मुमकिन हो पाया था। उस पर भी वहां लेफ्ट की वर्चस्व वाली पालीगंज विधानसभा सीट को राजद हमें देने के मूड में ही नहीं है। ये तो बिल्कुल अजब है।’
महागठबंधन में किच-किच का जिम्मेवार कौन?
अब सवाल ये उठता है कि महागठबंधन में किच-किच का कौन जिम्मेवार है। राजद की सहयोगी पार्टियां (कांग्रेस और रालोसपा को छोड़) लगातार तेजस्वी के नेतृत्व और उनकी जिद पर सवाल उठाती रही है। दूसरी तरफ अगर सहयोगी पार्टियों को देखें तो 243 विधानसभा सीटों में से उनकी मांग इतनी है जिसे राजद और कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियों की डिमांड से जोड़ने पर आंकड़ा तय सीटों से कहीं ज्यादा है। चुनाव में देर नहीं है, कभी भी तारीख का ऐलान हो सकता है। ऐसे में बड़ी पार्टी राजद ही है और सहयोगी अभी भी उम्मीद कर रहे हैं कि मामला जल्दी सुलट जाएगा। हालांकि ये भी एक तथ्य है कि अगर राजद और कांग्रेस लेफ्ट के साथ चुनाव लड़ती है तो महागठबंधन को फायदा होने की उम्मीद बढ़ जाएगी।