बिहार के सीएम नीतीश कुमार की मांग को एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार ने ठुकरा दिया है। बिहार में गत वर्ष अक्टूबर-नवम्बर में भीषण जल-प्रलय आयी थी। इस जल-प्रलय में बिहार के विभिन्न जिलों में जान-माल की काफी क्षति हुयी थी। विदित हो कि जल-प्रलय में हुयी क्षति की भरपाई को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार की ओर से मदद स्वरुप 4200 करोड़ रुपये की मांग की गई थी। जिसे नीतीश के जदयू की सहयोगी पार्टी भाजपा की मोदी सरकार ने ठुकरा दिया है।
बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मांग को एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार ने ठुकरा दिया। दरअसल, राज्यों की सरकारों की मांगो को लेकर केंद्र सरकार की ओर जारी प्रेस विज्ञप्ति जारी की गयी है। केंद्र सरकार द्वारा जारी इस प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक 8 राज्यों की मदद के लिए गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति ने 5,751.27 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।
इन राज्यों से सहयोग राशि की मांग की थी।
अन्य राज्यों ने भी की थी मांग
विदित हो कि जिन राज्यों ने सहयोग राशि की मांग की थी, उनमें बिहार, केरल, महाराष्ट्र, नागालैंड, ओडिशा, राजस्थान और पश्चिम बंगाल हैं, जो बीते साल तूफान ‘बुलबुल’ सूखा और बाढ़ से प्रभावित थे। यह मदद राशि राष्ट्रीय आपदा राहत कोष की ओर से जारी की गई है।
उल्लेखनीय है कि बिहार को विशेष राज्य के दर्जे, केंद्रीय विश्वविद्लाय, केंद्रीय कैबिनेट में हिस्सेदारी से लेकर कई ऐसे मामले हैं, जिसमें बिहार के सीएम नीतीश कुमार की बात सीधे तौर पर नहीं मानी गई है। फिलहाल इस नए फैसले से एक बार फिर बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को निशाना साधने का मौका मिल गया है।
यह पहला मौका नहीं, जब नीतीश की मांग को नहीं मिली तवज्जों
गौरतलब है कि सीएम नीतीश की 4200 करोड़ रुपये की मांग के एवज में केंद्र सरकार की ओर से मात्र 953.17 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। इसमें से 400 करोड़ रुपये पहले ही जारी कर दिए गए थे। विदित हो कि यह पहला मौका नहीं है जब केंद्र की ओर से नीतीश की मांग को ज्यादा महत्व नहीं दी गई है। इससे पहले साल 2018 में भी सीएम नीतीश के 7600 करोड़ रुपये की मांग को इग्नोर करते हुये मोदी सरकार ने सिर्फ 1900 करोड़ रुपये दिये थे।