बिहार सरकार ने भूमि विवादों, जटिल रिकॉर्ड व्यवस्था और भ्रष्टाचार जैसी पुरानी समस्याओं को खत्म करने के लिए एक व्यापक डिजिटल बिहार भूमि सर्वेक्षण अभियान (Bihar Land Survey) की शुरुआत की है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक भूमि स्वामी के पास प्रमाणिक और स्पष्ट स्वामित्व दस्तावेज उपलब्ध हों, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार के विवाद या भ्रम की स्थिति उत्पन्न न हो। यह पहल “बिहार विशेष सर्वेक्षण अधिनियम, 2011” के अंतर्गत चलाई जा रही है।
बिहार सरकार ने राज्यव्यापी भूमि सर्वेक्षण की समय सीमा बढ़ाकर दिसंबर 2026 तक कर दिया है। यह निर्णय जनता को हो रही असुविधाओं को कम करने और सर्वेक्षण प्रक्रिया को सुचारू रूप से पूरा करने के लिए लिया गया है। ज्ञात हो कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अनुसार, रैयतों द्वारा स्व-घोषणा (प्रपत्र-2) और वंशावली (प्रपत्र-3) जमा करने की अंतिम तिथि 31 मार्च 2025 निर्धारित की गई थी।
ज़मीन से जुड़े विवादों का डिजिटल समाधान
राज्य सरकार का मानना है कि ज़मीन संबंधी विवादों की जड़ असंगठित और अपारदर्शी दस्तावेज प्रणाली है। इसी को दुरुस्त करने के लिए अब आधुनिक तकनीकों जैसे ड्रोन सर्वे, सैटेलाइट मैपिंग और GIS टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है, ताकि हर भूखंड की सीमाएं सही तरीके से चिन्हित की जा सकें।
ऑनलाइन पोर्टल के ज़रिए दस्तावेज़ सत्यापन
भूमि मालिकों को कहा गया है कि वे सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए ऑनलाइन पोर्टल पर अपने स्वामित्व से संबंधित दस्तावेज़ अपलोड करें। इससे प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और प्रत्येक भूमि रिकॉर्ड डिजिटली संरक्षित रहेगा।
बिहार भूमि सर्वेक्षण में जरूरी दस्तावेज़
- ज़मीन का पर्चा
- स्वामित्व प्रमाण पत्र
- बिजली बिल या अन्य पहचान दस्तावेज
सभी दस्तावेजों का सत्य और वैध होना जरूरी है। अगर कोई व्यक्ति फर्जी कागजात प्रस्तुत करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।
भूमि स्वामित्व की वैधता अब डिजिटल रूप में
इस योजना के जरिए राज्य सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि ज़मीन पर मालिकाना हक पूरी तरह कानूनी रूप से स्पष्ट हो। इसका लाभ यह होगा कि:
- सरकारी योजनाओं का लाभ सिर्फ वास्तविक हकदारों को मिलेगा
- ज़मीन की खरीद-फरोख्त पारदर्शिता के साथ हो सकेगी
- राजस्व हानि को रोका जा सकेगा
- नागरिक अपने खेसरा या खतियान नंबर से ऑनलाइन भूमि की स्थिति देख सकेंगे
Bihar Land Survey में गलती हो जाए तो क्या करें?
अगर बिहार भूमि सर्वेक्षण में कोई गलती हो जाती है, तो चिंता की आवश्यकता नहीं है। सरकार ने पोर्टल पर ही ऑनलाइन सुधार के लिए भी विकल्प दिया है। यह प्रक्रिया काफी सरल है और कोई भी व्यक्ति अपने मोबाइल या कंप्यूटर से आवेदन कर सकता है।
कैसे करें सुधार आवेदन
- भूमि पोर्टल पर जाएं: https://dlrs.bihar.gov.in/Services.aspx
- आवश्यक जानकारी और दस्तावेज़ अपलोड करें
- सबमिट करें और स्टेटस ट्रैक करें
बिहार डिजिटल भूमि सर्वेक्षण: भविष्य की नींव
बिहार सरकार का यह कदम भूमि व्यवस्था को एक नए युग में ले जा रहा है। अब ज़मीन की बिक्री, विरासत, ट्रांसफर या सरकारी योजनाओं में आवेदन जैसी सभी गतिविधियां इस डिजिटल रिकॉर्ड सिस्टम के माध्यम से ही संभव होंगी। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी, फर्जीवाड़े पर लगाम लगेगी, नागरिकों को अपने कानूनी अधिकारों की रक्षा करने में आसानी होगी।
डिजिटल भारत की दिशा में अग्रसर बिहार
यह अभियान केवल भूमि रिकॉर्ड को व्यवस्थित करने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह बिहार को डिजिटल भारत की ओर ले जाने वाला एक मजबूत कदम भी है। यदि आप बिहार के निवासी हैं और आपकी अपनी ज़मीन है, तो यह आपके लिए जरूरी है कि आप इस अभियान में भाग लें। समय पर दस्तावेज अपलोड करें और इस ऐतिहासिक परिवर्तन के हिस्सेदार बनें।
बिहार में भूमि का डिजिटलीकरण न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ाएगा, बल्कि भूमि स्वामित्व से जुड़ी हर प्रकार की प्रक्रिया को सरल, सुलभ और भरोसेमंद बनाएगा। राज्य सरकार की यह पहल बिहार को एक सशक्त, ई-गवर्नेंस आधारित और भ्रष्टाचार-मुक्त भविष्य की ओर ले जा रही है।
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