Home बिहार बिहार की खादी अब मिलेगी ऑनलाइन, बड़े पैमाने पर रोजगार की सम्भावना

बिहार की खादी अब मिलेगी ऑनलाइन, बड़े पैमाने पर रोजगार की सम्भावना

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हमारे राज्य बिहार में बन रहे खादी वस्त्रों की बिक्री भी अब ऑनलाइन होने लगेगी। खादी वस्त्र के बुनकरों और उत्पादकों को बिक्री के लिए अब बाज़ार के लिए तरसने की जरुरत नही है। राज्य में बनने वाले खादी के उत्पाद को फिल्प्कार्ट और अमेज़न जैसी कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाज़ार उपलब्ध कराएगी। इसके लिए राज्य खादी विभाग और इन कंपनियों के बीच एक समझौता पत्र हस्ताक्षर किया जाना है। आगामी 13 फ़रवरी को इस समझौते को आखरी मुहर लगनी तय है। बिहार राज्य खादी बोर्ड और अमेज़न के बीच यह समझौता होने जा रहा है।

खादी संस्थाओं का जुडाव दुनियाभर के उपभोक्ताओ से

खादी बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीएन प्रसाद का कहना है की बिहार की खादी दुनियाभर में उपलब्ध कराने के उद्धेष्य से यह करार किया जा रहा है। बोर्ड इसके लिए खादी उत्पादक संस्थाओं से वस्त्र की खरीदारी करेगा और अमेज़न को उपलब्ध कराएगा। अमेज़न से समझौते के बाद मसलिन को बड़ा बाज़ार मिल जायेगा।

ज्ञात हो की विश्व प्रसिद्ध मसलिन मधुबनी के बुनकरों द्वारा तैयार की जाने वाले खादी है। अपने बारीक धागों के लिए मसलिन खादी पूरी दुनियाभर में जनि जाती है। मसलिन खादी के शौक़ीन हर जगह है, प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु भी मसलिन खादी से बने कपड़ो के खूब शौक़ीन थे। वर्तमानं में भी कई नेतागण इससे बने वस्त्र के शौक़ीन हैं, अधिकाँश बड़े नेताओ को मसलिन खादी भाती है।

अपने खादी संस्थाओ को आप यह पंजीकृत कर सकते है।

बिहार में खादी का विकास गौरवशाली

आर्थिक समस्याओं के निदान में खादी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बिहार की खादी का विकास गौरवशाली रहा है, लेकिन आज खादी कपड़ो के उत्पादन करने वाले खादी संघों एवं संस्थाओं की स्थिति अच्छी नहीं है। वर्तमान में बिहार में खादी के लगभग 84 संस्थाएँ हैं जिसमें से लगभग 58 संस्थाएं ही कार्यरत हैं। ज्यादातर खादी संघों के पास अपनी भूमि एवं भवन होने के बाद भी उत्पादन की कमी है। बिहार की ज्यादातर जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है।

खादी के विकास से ग्रामीण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होने की सम्भावना है। खासकर कमजोर वर्ग एवं महिलाओं को रोजगार मिलेगा, इसके लिए खादी प्रक्षेत्र को आगे बढ़ने की कवायद है। इसका प्रमुख कारण है कामगारों की कमी, बाजार की उपलब्धता और खादी के लिए नये डिजायन की कमी। बिहार के खादी संस्थाओं को बाज़ार में पूर्नजीवित करने के लिए राज्य सरकार की यह योजना कारगार साबित हो सकती है। इससे न केवल इन संघो को उचित बाज़ार मिलेगा बल्कि उचित दाम भी इनके विकास में सहायक होंगी।

रेमंड ने शुरू की खादी की खरीदारी

प्रशिद्ध रेमंड कंपनी ने राज्य के खादी संघो से वस्त्र खरीदने की शुरुआत कर दी है। रेमंड कंपनी ने अकेले हबीबुल्लाह खादी से २० हज़ार मीटर एवं भागलपुर के रेशम बुनकरों से १० हज़ार मीटर खादी वस्त्र की खरीदारी की है। उम्मीद है की यह पहल राज्य में सुस्त पड़े खादी की इन संस्थाओं को नया जीवन देने में सहायक साबित होगी। खादी के विकास से बहुत सारे रोज़गार सृजन होने की संभावनाओं को भी एक नयी दिशा मिल सकती है।

मनाया गया खादी महोत्सव

राज्य में 25 जनवरी से 4 फ़रवरी तक खादी महोत्सव का आयोजन किया गया था। ज्ञान भवन में आयोजित इस महत्सव में राज्य ही नहीं देशभर के अधिकाँश खादी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। भागलपुर के बुनकरों द्वारा बनायीं गयी खादी सिल्क के वस्त्र युवाओं के लिए विशेष आकर्षण के केंद्र रहे। इसके अलावा मुजफ्फरपुर, गया, नवादा सहित अन्य इलाको में उत्पादित खादी वस्त्र को एक मंच पर लोगों के लिए उपलब्ध कराई गयी।

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