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बिहार चुनाव 2020: आयोग का निर्देश, संवेदनशील बूथों पर सख्त होगी सुरक्षा व्यवस्था

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पटना। बिहार विधानसभा आम चुनाव 2020 को लेकर अति संवेदनशील बूथों पर सुरक्षा की सख्त व्यवस्था की जाएगी। भारत निर्वाचन आयोग ने सभी जिलों के जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी को अति संवेदनशील बूथों को चिन्हित करने का निर्देश दिया ताकि वहां सुरक्षा की सख्त व्यवस्था की जा सके।

चुनाव पूर्व संवेदनशील बूथों को चिन्हित करने के लिए आयोग के दिशा-निर्देश के  मानक निर्धारित

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, बिहार के कार्यालय के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चुनाव पूर्व संवेदनशील बूथों को चिन्हित करने के लिए आयोग के दिशा-निर्देश के अनुसार मानक निर्धारित किए गए हैं। इन मानकों के आधार पर ही आनेवाले बूथों को क्रिटिकल अथवा अति संवेदनशील बूथ माना जाएगा। राज्य में प्रति बूथ एक हजार से कम मतदाता के मानक के अनुसार एक लाख 6 हजार बूथों का निर्धारण किया गया। इनमें 34 हजार नये बूथ शामिल हैं।

बिहार चुनाव को लेकर प्रचार के लिए इस बार प्रत्याशियों की मनमानी नहीं चलेगी

बिहार में कोरोना काल में हो रहे विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों को सभी तरह की एनओसी ऑनलाइन मिलेगी। राजनीतिक दल अपने चुनाव प्रचार के लिए समय और स्थल की मांग चुनाव आयोग से ऑनलाइन ही करेंगे। आयोग अपने नोडल अधिकारियों से इस संबंध में रिपोर्ट लेने के बाद ऑनलाइन ही एनओसी जारी करेगा।

राजनीतिक दलों को इसके लिए सरकारी कार्यालयों का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा

राजनीतिक दलों को इसके लिए सरकारी कार्यालयों का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। राजनीतिक दलों को अपने आयोजन के लिए प्रतिभागियों की संख्या पहले ही स्पष्ट करनी होगी, ताकि उस क्षमता का आयोजन स्थल उन्हें उपलब्ध कराया जा सके। इस मॉड्यूल के माध्यम से जनसभा की अनुमति, नुक्कड़ नाटक की अनुमति, हैलीपैड बनाने की अनुमति, रैली की अनुमति, रोड शो की अनुमति, मंच बनाने की अनुमति, वाहनों की अनुमति, चुनाव कार्यालय खोलने की अनुमति व सभा स्थल की अनुमति ऑनलाइन दी जा सकेगी। इसमें प्रत्याशियों की मनमानी नहीं चलेगी।

इस बार विस चुनाव में पहली बार एनकॉर परमिशन मॉडयूल का प्रयोग

विधानसभा चुनाव में इस बार चुनाव आयोग पहली बार एनकॉर परमिशन मॉडयूल का प्रयोग करने जा रहा है। चुनाव प्रक्रिया के नियंत्रण की यह सबसे आधुनिक प्रक्रिया है, जिसमें अधिक से अधिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। इस मॉड्यूल के लिए चुनाव आयोग ने सभी जिलों से डेटा की मांग की है और मंगलवार से इसके लिए अधिकारियों के प्रशिक्षण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई।

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