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बाढ़ के जुझारु और संघर्षशील पत्रकार की निधन पर क्षेत्रों में दौड़ी शोक की लहर

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हर ओर से गूंजे बालेश्वर शर्मा अमर रहें
बाढ़। देश के बहुचर्चित कवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता ‘दो में से तुम्हे क्या चाहिये कलम या तलवार’! जी हां मैं बात कर रहा हूं पत्रकारिता जगत के संघर्षशील और जुझारु पत्रकार बालेश्वर शर्मा की जिनकी राजधानी पटना में लंबी बीमारी के बाद सोमवार को निधन हो गया।

निधन की खबर सुनते ही पटना सहित इनके गृह क्षेत्र बाढ़ अनुमंडल में शोक की लहर दौड़ पड़ी।

वहीं इनकी निधन की खबर सुनते ही पटना सहित इनके गृह क्षेत्र बाढ़ अनुमंडल में शोक की लहर दौड़ पड़ी। आपको बताता चलूं कि कभी अपने जमाने में पटना से प्रकाशित हिंदी दैनिक आर्यावर्त एवं अंग्रेजी दैनिक इंडियन नेशन में संवाददाता के तौर पर सेवा किये यही नहीं अनुमंडल के पंडारक में अपने घर से शिक्षा पूरी कर बाढ़ सिविल कोर्ट एक अधिवक्ता के रूप में समय दिए। उस वक्त प्रखंड के पत्रकार को डाकखाना से टेलीप्रिंटर से न्यूज़ भेजा जाता था या डाक से रात्रि में कोई बड़ी घटना हुआ न्यूज़ डालने के लिए खुद ट्रक पर चढ़कर या किसी तरह इंतजाम कर न्यूज़ भेजा जाता था। इसी दौरान एक बार बाढ़ में नागमणि कांड जो हुआ जिसमे अपनी पत्नी को मारकर फेंक दिया गया था बाढ़ में उस वक्त बालेश्वर शर्मा को भनक मिलते सुबह फोटो सहित न्यूज़ बनाकर ट्रेन पकड़ पटना पहुंच कर न्यूज़ लगाते थे।

नागमणि की पत्नी की हत्याकांड में स्व शर्मा ने खूब सुर्खियां बटोरी

उस वक्त उस न्यूज़ को लेटेस्ट पटना एडिशन में बाढ़ संवाददाता बालेश्वर शर्मा के नाम से लगा था। उस वक्त की सरकार हरकत में आ गई थी पहला लीड बिहार के प्रसिद्ध अखबार में लिया था। बालेश्वर शर्मा पत्रकार के रूप में बिहार श्रमजीवी पत्रकार संघ के सदस्य के रूप में थे। जब भी श्रमजीवी पत्रकार संघ में मीटिंग होती थी उस वक्त बिहार के प्रखंड के संवादाता के हित में आवाज बुलंद करते थे। खुद एक यूनियन पूरे बिहार के प्रखंड संवाददाता के वास्ते एक संघ बनाया गया। जिसका नाम रखा गया बिहार राज्य मुफस्सिल मुफस्सिल संवाददाता संघ और एक अखबार भी निकालने लगे। जिसका नाम था शंखनाद हिंदी में जो निकलने लगा। जब प्रेस बिल लाया गया उस वक्त की कांग्रेस सरकार के मुखिया जगन्नाथ मिश्रा थे उत्तर बिहार श्रमजीवी पत्रकार संघ के आह्वान पर आर्यावर्त हिंदी, इंडियन नेशन अंग्रेजी, प्रदीप, हिंदी सर्चलाइट, अंग्रेजी जनशक्ति हिंदी आज हिंदी, संगम उर्दू, सदायम उर्दू, अमृतवर्षा के साथ हिंदुस्तान समाचार एजेंसी, पीटीआई एजेंसी यूएनआई एजेंसी के पत्रकार पुरजोर विरोध किया।

पटना में पूरे बिहार से पत्रकार पटना पहुंचकर एक विशाल प्रदर्शन निकाला। इस बिल के खिलाफ तब जाकर उस बिल को वापस लिया गया। उस वक्त भी बालेश्वर शर्मा पूरी मुस्तैदी से उस जुलूस का लीड करते रहे। उस वक्त बिहार के स्तंभ पत्रकारों का स्तंभ ने पारसनाथ तिवारी, गौरी शंकराचार्य, गौरी शंकर अचार्य अन्य लोग हम सभी लोगों को जो कार्यालय में टेबल पर या फिल्ड में पत्रकारिता के लोगों को समझाते थे दिशा निर्देश देते थे।

स्वर्गीय बालेश्वर शर्मा के अंडर में जूनियर अधिवक्ता पत्रकार आशा कुमारी, शम्मी किशोर, रामाकांत, प्रभात कुमार सहित सभी अधिवक्ता उनके जूनियर थे। ज्ञात हो कि बाढ़ अनुमंडल के पत्रकार बालेश्वर शर्मा की निधन की खबर सूनने के बाद सभी जूनियर अधिवक्ता गहरा शोक मनाया तथा भगवान से उनकी दिवंगत आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना किया। स्वर्गीय बालेश्वर शर्मा का नाम अमर रहे।

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