राजभवन के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने बिहार के विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए और नए नियमों के प्रावधान तैयार करने लिए सबसे पहले उच्च स्तरीय कमिटी का गठन किया गया है। कमिटी विश्वविद्यालय सेवा आयोग (UGC) के लिए सबसे पहले नई गाइडलाईन तय करने का काम करेगी।
राज्यपाल फागु चौहान ने की थी बैठक
बिहार के गवर्नर फागू चौहान ऐसा कोई भी निर्देश देने से पहले सभी विश्वविद्यालयों के वीसी के साथ बैठक की थी और नए गाईडलाईन तय करने पर सहमति मांगी। गठित उच्चस्तरीय कमिटी में मगध विश्वविद्यालय, मुंगेर, और पूर्णिया के वीसी शामिल हैं जो विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसरों के खाली पदों पर होने वाली नियुक्ति को लेकर रूपरेखा तय करेंगे और अपनी राय भी देंगे।
बता दें कि फागू चौहान के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि कमिटी के जल्द नियम और मापदंड तय करने के बाद इसी माह फरवरी के अंतिम सप्ताह तक सहायक प्रोफेसर के खाली पड़े पदों पर विज्ञापन निकाला जा सकता है जिसको लेकर विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों से इस साल के 31 जनवरी तक की रिक्तियां भी मंगवा ली है। आयोग की मानें तो लगभग 8 हजार रिक्तियां के लिए विज्ञापन निकाला जाएगा।
आवेदन की प्रक्रिया होगी ऑनलाइन
आयोग के अध्यक्ष राजवर्धन आजाद ने सभी सदस्यों से तय समय सीमा के भीतर बहाली करने में सहयोग देने की अपील की है। विज्ञापन निकाले जाने के बाद आवेदन ऑनलाइन तरीके से लिये जाएंगे जिसके लिए आयोग ने पोर्टल भी तैयार कर लिया है। हालांकि, नियुक्ति प्रक्रिया में काफी देरी हुई है लेकिन राजभवन की सक्रियता के बाद अब प्रतीत हो रहा है कि जल्द ही सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति सम्भव हो सकेगी।
गौरतलब है कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में वर्षों से प्रोफेसरों की कमी है और विषयवार शिक्षक नहीं होने की वजह से पठन-पाठन भी प्रभावित हो रहा है। अब तक सभी विश्वविद्यालयों में 30 प्रतिशत स्थायी प्रोफेसर और बाकि के गेस्ट लेक्चरर के भरोसे ही पढ़ाई चलती आ रही है।
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