Home त्योहार और संस्कृति मधुबनी पेंटिंग के लिए काबिल-ए-तारीफ़ है आपका ये कदम

मधुबनी पेंटिंग के लिए काबिल-ए-तारीफ़ है आपका ये कदम

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जबसे मानव सभ्यता का विकास हुआ है, मनुष्य चित्र के रूप में अपनी भावनाओं को व्यक्त करता आया है। चाहे भीमटिका की पेंटिंग की बात कहें या अजंता एलोरा की, ये चित्र मानव से मनुष्य बनने की कहानी कहते हैं। मधुबनी पेंटिंग भी एक ऐसी ही चित्रकला है जो बिहार की धरती से पनपी है और पुरे विश्व को भारत की समृद्ध सभ्यता से अवगत कराती है। हिंदुस्तान की मिट्टी की इस रंगभरे धरोहर को आने वाली पीढ़ियों के लिए संजोकर रखने में हम सभी विश्वास करते हैं। आइये आपकी मुलाक़ात करते हैं एक ऐसी हस्ती से जिसने अपनी कोशिशें भी लगा दी हैं मधुबनी पेंटिंग को नयी पीढ़ी तक पहुँचाने में।

दिल्ली में रहने वाली जया डौर्बी को मिथिला आर्ट ने इतना प्रभावित किया कि दूरदर्शन में फुल टाइम जॉब के होते हुए भी मधुबनी पेंटिंग के बारे में जानने और कैनवास पर इस कला को उतारने से वो खुद को रोक नहीं पायी। साक्षात्कार के दौरान उन्होंने मधुबनी पेंटिंग के प्रति अपनी रूचि के बारे में विस्तार से बताया।

जया जी, आप उत्तराखंड से हैं और दिल्ली में रहती हैं, फिर मधुबनी पेंटिंग का शौक कैसे?

इस प्रश्न के जवाब में जया बताती हैं, हाँ मैं उत्तराखंड से हूँ और दिल्ली में रहती हूँ। कभी दिल्ली आर्ट, आर्ट मेला में या प्रदर्शनियों में, मधुबनी पेंटिंग देखकर मैं हमेशा सोचती थी कि ये कैसे बनाया गया होगा। मधुबनी पेंटिंग मुझे हमेशा से बहुत आकर्षित करती थी और मुझे ऐसा लगता था कि शायद मै इससे जुडी हुयी हूँ। फरवरी, 2018 में मैंने सोचा कि एक बार बनाकर देखती हूँ। जब एक बार बनाया फिर तो मैं इसमें इतना खो गयी कि एक के बाद एक पेंटिंग बनती चली गयी।

पेंटिंग्स के तो और भी कई आकार हैं मिथिला पेंटिंगस के प्रति झुकाव की कोई खास वजह?

जवाब में जया बताती हैं, मैं जब भी आर्ट मेले में जाती थी, सबसे ज़्यादा मधुबनी पेंटिंग से ही प्रभावित होती थी। मेले में मौजूद मधुबनी कलाकारों से मिलती थी और उनके ज़रिये मधुबनी आर्ट को जानने कि कोशिश करती थी। उन लोगों से बातचीत करके इस पेंटिंग के बारे में और जानने की रूचि बढ़ती गयी। फिर मैंने भी मधुबनी पेंटिंग पर लिखी हुयी एक किताब मिथिला लोकचित्र पढ़ी। इसके बाद मैंने पेंटिंग्स बनाना शुरू किया और मेरे आसपास के लोगों से मुझे इतना प्रोत्साहन मिला की मुझे लगा कि मुझे और बनाना चाहिए। मैंने बहुत सारी पेंटिंग्स बनायीं हैं, और आगे भी बनती रहूंगी।

बहुत अच्छी बात है जया जी, क्या आप मधुबनी गयीं हैं?

जया डौर्बी- चूँकि अभी मुझे मधुबनी पेंटिंग करते हुए लगभग एक साल ही हुआ है और मैं फुल टाइम जॉब भी करती हूँ, इसलिए मेरे लिए मधुबनी जाने के लिए समय निकालना काफी मुश्किल है। पर मेरे ऑफिस से कुछ लोग गए थे वहां तो उनके फोटोज में मैंने मधुबनी देखा है। वैसे मैंने सोचा है कि मधुबनी जाना है और जल्द ही वहां जाकर स्थानीय कलाकारों से मिलूंगी।

क्या मधुबनी के लोगों से भी आपका जुड़ाव रहा है?

खासकर मधुबनी से नहीं पर बिहार के लोगों से जुड़ाव रहा है। मेरे बहुत सारे दोस्त बिहार से हैं। मुझे वहां का खान पान काफी पसंद है। छठ पूजा, ठेकुआ, तिलकुट सब मुझे अच्छा लगता है। बिहार मैं कभी नहीं गयी, फिर भी मुझे वहां की संस्कृति और वहां के लोग मुझे अलग नहीं लगते। मुझे ऐसा लगता है कि मैं उनकी तरह हूँ और वो मेरी तरह हैं। मधुबनी पेंटिंग मुझे और भी ज़्यादा कनेक्ट करती है बिहार की संस्कृति से। आपने मेरे इंस्टाग्राम अकाउंट पे कई कलाकारों के बारे में पढ़ा होगा, ये लोग राष्ट्रीय और राज्य स्तर के कलाकार हैं। ये लोग ज़्यादातर बिहार के दरभंगा, मधुबनी जिले से होते हैं।

Jaya Dourby

जया जी, क्या आप आगे अपनी इस रूचि को व्यापार के तौर पे भी देखती हैं?

मेरा मधुबनी पेंटिंग के साथ जुड़ाव काफी अलग है। अभी तक मैंने इसके बार में सोचा नहीं है। मेरी कोई पेंटिंग बनकर तैयार होती है, उससे पहले ही मेरे आसपास के लोग उसे लेने में अपनी रूचि ज़ाहिर कर देते हैं। इससे भी मैं काफी प्रोत्साहित महसूस करती हूँ कि मैं अच्छा काम कर रही हूँ। पेंटिंग ऐसी चीज़ है जो मेरे अंदर से आती है, मैं बिना मन के नहीं बना सकती। मेरी बनायीं कुछ पेंटिंग्स मेरे दिल के बहुत करीब हैं, वो शुरू के दिनों के हैं तो वो तो मैं किसी को नहीं दूंगी।

आपके इंस्टाग्राम पेज पर राष्ट्रीय और राज्य स्तर के कलाकारों जैसे पूनम दास के बारे में पढ़ा था। अपनी इन कोशिशों के बारे में कुछ बताएं।

मैं हमेशा से ही सभी कलाकारों के काम को सराहती रही हूँ चाहे गायक हो, अभिनेता हो या और किसी क्षेत्र से सम्बन्ध रखता हो। मुझे ऐसा लगता है की एक गायक या अभिनेता को अपने कला के प्रदर्शन के लिए मंच मिल जाता है पर एक चित्रकार के लिए यह मुश्किल होता है। मैं जिन लोगों के फोटोज लगाती हू, वो राष्ट्रीय और राज्य स्तर के पुरस्कार विजेता रहे हैं, परन्तु आम लोग इन्हें नहीं पहचानते। हम सभी के तरफ से कहीं- न-कहीं कुछ कमी रही है चित्रकारों को और उनके काम को बढ़ावा देने में तभी हम लोग आम तौर पर इनके बारे में नहीं जान पाते। मेरी ये कोशिश उन लोगों के लिए ही है।

आगे जया बताती हैं, मैं अपने इंस्टाग्राम पेज पर चित्रकारों की पेंटिंग्स के नीचे उंनका नंबर भी डालती हूँ ताकि जो भी उनके काम से प्रभावित होकर उनतक पहुंचना चाहे, पहूँच सके। मेरा विशेष ध्यान महिला चित्रकारों पर रहता है क्योंकि मुझे ऐसा लगता है की वो घर संभालते हुए पेंटिंग्स करती हैं और राष्ट्रीय और राज्य स्तर के पुरस्कार भी हासिल करती हैं जो की अपने आप में एक बड़ी बात है ।

आप कला प्रदर्शनी में जाती रहती हैं, तो क्या आप इन् राष्ट्रीय विजेता कलाकारों की पेंटिंग्स प्रदर्शनी में भी लगवाने की कोशिश की है?

जी, मैं अभी तक जिन भी प्रदर्शनी में गयी हूँ, वहाँ जिन पेंटिंग्स को शामिल करना है वो पहले से तय रहता है, तो मैं उस समय तो नहीं ऐड कर पाती हूँ। लेकिन मैं उसमे ये करती हूँ की जैसे ही मुझे पता लगता है की ऐसा कुछ आर्ट मेला या प्रदर्शनी लगने वाली है, मै अपने इंस्टाग्राम पेज के माध्यम से बताती रहती हूँ। इससे ये होता है की इनमे रूचि रखने वाले लोग वहाँ जाकर बात कर सकें, अपने चित्रों को सम्मिलित करवा सकें ।

सोशल मीडिया के माध्यम से आप अच्छा काम कर रही हैं आगे आप इन कलाकारों के लिए क्या करना चाहेंगी?

जी बहुत बहुत धन्यवाद। मैं हमेशा से चाहती हूँ की सभी कलाकारों के काम को सराहना मिले। आज ये लोग जो बड़े बड़े कलाकार हैं, इनको शायद इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया के बारे में पता नहीं हो। और पता हो भी तो सोशल मीडिया को इस्तेमाल करना, उनपर अपने काम को दिखाना एक मुश्किल कार्य हो सकता है। मेरा मानना है की हम, जो लोग जानते हैं सोशल मीडिया को इस्तेमाल करना, हमें इनके काम को बढ़ावा देना चाहिए। आज हम पहले के कलाकारों को बढ़ावा देंगे, तभी तो कल आने वाली पीढ़ी हमें बढ़ावा देने के बारे में सोचेंगे। एक फूल टाइम जॉब के साथ ये करना थोड़ा मुश्किल तो हो जाता है। पर जहाँ चाह है वहाँ राह है।

जया जी, भविष्य में अपने इस प्रयास को और बढ़ाने के लिए आपने क्या सोचा है?

आगे मेरा ये प्लान है की मैं मधुबनी पेंटिंग से सम्बंधित YouTube पर छोटे छोटे वीडियोस बनाऊं। मैंने कुछ कलाकारों के इंटरव्यूज भी लिए हैं जैसे आशा झा जी और एक पत्रकार हूँ तो आगे भी इन महिला चित्रकारों के इंटरव्यू लेना चाहूंगी। मेरी कोशिश रहेगी की मेरे माध्यम से उनकी कला को पूरी दुनिया में एक नई पहचान मिल सके। इन इंटरव्यू के ज़रिये मधुबनी चित्रकला और मधुबनी चित्रकार दोनों को आम लोगो तक पहुंचाने की मेरी कोशिश रहेगी।

क्या आपने उनकी पेंटिंग्स को ऑनलाइन सेल करने की कोशिश करती हैं?

जी बिलकुल, जब मैं इन चित्रकारों से मिलती हूँ एक्सहिबीशन्स में, उनके बारे में और पेंटिंग्स के बारे में तो जानने की कोशिश रहती है, साथ ही साथ उनको क्या दिक्कतें आती हैं, ये सब भी जानने की कोशिश करती हूँ। मैं उन्हें बताती हूँ की वो अपनी पेंटिंग्स ऑनलाइन भी सेल कर सकते हैं। कैसे ये कर सकते हैं, मैं ये सब भी बताती हूँ ।

मधुबनी के उन ग्रामीण चित्रकारों के लिए भी कुछ करना चाहेंगी जो यहाँ से बाहर नहीं निकले।

केवल मधुबनी नहीं, मैं उन सब लोगों के लिए काम करना चाहूंगी जो कहीं से भी हो पर मधुबनी पेंटिंग में रूचि रखते हैं। मैंने सोचा है की एक वर्कशॉप करूँ और ऐसे सभी लोगों को इकठ्ठा करुँ जो मधुबनी पेंटिंग से जुड़ना चाहते हैं। मैं ये सोचती हूँ की मै खुद इस कला में इतना निपूण हो जाऊं की मैं लोगों को अच्छी तरह से गाइड कर सकूँ।

परिवार का कितना सहयोग मिला आपको ?

परिवार का काफी सहयोग मिलता है मुझे। खासकर मेरी बहन का जो मेरी पेंटिंग से संबधित ज़रूरत की वस्तुएं लाकर देती हैं। बाकी लोग भी मुझे मेरा पूरा समय देते हैं ताकि मैं ये काम अच्छे से कर पाऊं।

जया जी, उनलोगों को आप कुछ कहना चाहेंगी, जिन्होंने अभी अभी मधुबनी पेंटिंग करना शुरू किया है या शुरु करने का सोच रह हैं?

उन लोगों को मैं कृष्णा कुमार कश्यप और श्रीमती शशिबाला जी की लिखी हुयी मिथिला लोकचित्र किताब पढ़ने के लिए कहूँगी। जिसमे काफी विस्तार से मधुबनी पेंटिंग के पीछे जुडी छोटी छोटी बातों का ज़िक्र किया गया है। मैं खुद वो किताब पढ़कर मधुबनी पेंटिंग के बारे में अच्छे से जान पायी हूँ। मैं YouTube पर श्री भारती दयाल के वीडियोस भी देखकर सीखती हूँ। आप कुछ भी नहीं बना सकते, हर आकार का एक मतलब होता है। किताब पढ़कर मुझे पता चला की मधुबनी का भी एक मतलब है – मधु (Honey) का जंगल (Forest)। मैं केवल पेंटिंग ही नहीं करती, उसके पीछे की थ्योरी भी पढ़ती हूँ।

आप इन चित्रकारों की पेंटिंग्स अपने इंस्टाग्राम पेज पर लगाती हैं, उनको बढ़ावा देती हैं। आपकी इन कोशिशों से उन चित्रकारों के लिए संघर्ष ज़रूर कुछ आसान हुआ होगा और आगे भी होता रहेगा। काबिल-ए-तारीफ़ है आपका ये कदम ।

आप भी जुड़ सकते हैं जया डौर्बी के काम से
Instagram – Madhubani Magic

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