Tuesday, November 19, 2024
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कार्तिक पूर्णिमा: जाने आज के दिन किये गए स्नान दान का क्या है महत्व

कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा कहा जाता है। इस पूर्णिमा का शैव और वैष्णव, दोनों ही सम्प्रदायों में बराबर महत्व है। इस दिन शिव जी ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे। इसी दिन भगवान विष्णु जी ने मत्स्य अवतार भी लिया था। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो तो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से भी पूरे वर्ष स्नान करने का फल मिलता है।

आज के दिन के दान का है विशेष महत्व

इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दीपदान करने का विशेष महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा पर दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन दान करने से ग्रहों की समस्या को दूर किया जा सकता है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा 12 नवंबर को यानी आज है।

हिंदु धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है। इस दिन पूरे दिन व्रत रखकर रात्रि में वृषदान यानी बछड़ा दान करने से शिवपद की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति इस दिन उपवास करके भगवान भोलेनाथ का भजन और गुणगान करता है उसे अग्निष्टोम नामक यज्ञ का फल प्राप्त होता है। इस पूर्णिमा को शैव मत में जितनी मान्यता मिली है उतनी ही वैष्णव मत में भी।

कार्तिक पूर्णिमा को बहुत अधिक मान्यता मिली है। इस पूर्णिमा को महाकार्तिकी भी कहा गया है। यदि इस पूर्णिमा के दिन भरणी नक्षत्र हो तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। अगर रोहिणी नक्षत्र हो तो इस पूर्णिमा का महत्व कई गुणा बढ़ जाता है। इस दिन कृतिका नक्षत्र पर चन्द्रमा और बृहस्पति हों तो यह महापूर्णिमा कहलाती है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान से होते हैं पाप मुक्त

बता दें कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दीप दान, हवन, यज्ञ आदि करने से सांसारिक पाप और ताप नष्ट होता है। इस दिन किये जाने वाले अन्न, धन एव वस्त्र दान का भी बहुत महत्व है। इस दिन जो भी दान किया जाता हैं उसका कई गुणा लाभ मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन व्यक्ति जो कुछ दान करता है वह उसके लिए स्वर्ग में संरक्षित रहता है।

गौरतलब है कि इस दिन गुरुनानक देव का जन्म भी हुआ था, और इसलिए इस दिन को प्रकाश और गुरु पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। आज के दिन सिख सम्प्रदाय के अनुयायी सुबह स्नान कर गुरूद्वारों में जाकर गुरूवाणी सुनते हैं और नानक जी के बताये रास्ते पर चलने की सौगंध लेते है

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