ऑक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार भारत के कुल 63 अरबपतियों की संपत्ति देश के पिछले साल के बजट से भी ज्यादा है। पिछले वित्त वर्ष के लिए सरकार ने 24.42 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया था। इतना ही नहीं देश की एक फीसद अमीर आबादी की कुल संपत्ति 70 फीसद निचले तबके की संपत्ति के चार गुने से भी ज्यादा है। वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की 50वीं वार्षिक बैठक से पहले मानवाधिकार समूह ऑक्सफैम की ओर से जारी रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
एक दशक में अरबपतियों की संख्या दोगुनी
रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया के 2,153 अरबपतियों की संपत्ति 60 फीसद यानी करीब 4.6 अरब आबादी की संयुक्त संपत्ति से भी ज्यादा है। असमानता की स्थिति बेहद चिंताजनक है। पिछले एक दशक में अरबपतियों की संख्या दोगुनी हो गई है। हालांकि इस दौरान पिछले साल के मुकाबले अरबपतियों की कुल संपत्ति में हल्की कमी आई है।
ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बहर ने कहा, ‘अमीर और गरीब के बीच का अंतर तब तक नहीं मिटाया जा सकता है, जब तक खासतौर पर असमानता को मिटाने वाली नीतियां नहीं बनेंगी। फिलहाल बहुत कम सरकारें इस दिशा में प्रतिबद्ध हैं।’ इस बार डब्ल्यूईएफ के पांच दिवसीय सम्मेलन में आय और लैंगिक असमानता का मुद्दा प्रमुखता से उठने की उम्मीद है।
असमानता के कारण सामाजिक अस्थिरता
रिपोर्ट में यह भी चेताया गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दबाव की स्थिति इस साल भी बनी रह सकती है। असमानता के कारण दुनियाभर में सामाजिक अस्थिरता की बात भी कही गई है। भ्रष्टाचार, असंवैधानिक गतिविधियों और मूलभूत वस्तुओं व सेवाओं के महंगा होने से स्थिति और जटिल हो सकती है।
ऑक्सफैम की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले तीन दशक में वैश्विक स्तर पर असमानता कुछ हद तक कम हुई है, लेकिन कुछ देशों में यह असमानता बढ़ी है। विकसित अर्थव्यवस्थाओं में स्थिति ज्यादा गंभीर है। लैंगिक भेदभाव करने वाली अर्थव्यवस्थाएं असमानता को और ज्यादा बढ़ा रही हैं।