Friday, December 27, 2024
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डिग्री कॉलेज में एक बार फिर बड़े घोटाले का पर्दाफाश, 10 विश्वविद्यालय जांच के घेरे में

बिहार में अनुदान पाने की होड़ में डिग्री कॉलेज तरह-तरह के खेल कर रहा है। हर साल करोड़ों का अनुदान पाने के लालच में तमाम सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ायी जा रही हैं। स्वीकृत सीटों से दो गुना अधिक छात्रों का दाखिला लिया जाता है। तीन गुना छात्रों का परीक्षा में शामिल कराने जैसे फर्जीवाड़ा सामने आते ही शिक्षा विभाग ने जांच करने का आदेश दिया है।बता दें कि शक के दायरे में बिहार के वो दस विश्वविद्यालय भी सामने आए हैं जिन्होंने 222 संबंधित डिग्री कॉलेजों को गड़बड़ी करने में साथ दिया है। अब तक हुयी जांच की आंच में प्रति कुलपतियों, कुलसचिवों, परीक्षा नियंत्रकों और कॉलेज निरीक्षकों तक झुलसते नज़र आ रहे हैं।

शिक्षा विभाग के एक उच्च अधिकारी ने कहा है कि एक भी डिग्री कॉलेज इस स्थिति में नहीं पाया गया है, जिसे ‘क्लीन चिट’ दिया जा सके। कमोवेश सभी डिग्री कॉलेजों में अनेक अनियमितता पकड़ी गई है। बड़ी संख्या में ऐसे कॉलेज हैं, जहां अस्थायी संबद्धन या बिना संबद्धन के हजारों की संख्या में छात्रों का नामांकन किया गया है और परीक्षा पास कराकर अनुदान का दावा सरकार से किया है। अनुदान प्रस्ताव की जांच से कई गड़बड़ी पकड़ी गई है। संबंधित विश्वविद्यालयों से शिक्षा विभाग के प्रपत्र में दिए गए बिदुओं के आधार पर जांच रिपोर्ट पंद्रह दिनों में मांगी गई है। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।

विभाग ने किया स्पष्ट, सिर्फ मान्य सीटों पर मिलेगी अनुदान

शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि संबद्ध डिग्री कॉलेजों का अनुदान नहीं रोका जाएगा। साथ ही यह भी कहा कि अनुदान उसी कॉलेज को मिलेगा जो निर्धारित मानदंड की जांच पर खरा उतरेगा। संबंद्धन प्राप्त कॉलेजों को जांच प्रक्रिया से गुजरना होगा। उतनी ही अनुदान मिलेगी जितनी सीटों पर नामांकन सरकार द्वारा स्वीकृत नियमों के तहत शैक्षणिक सत्रों, संकायों, विषयों एवं सीटों पर नामाकंन लिया गया होगा।

700 सीटों पर 3456 नामांकन

बिहार विवि (मुजफ्फरपुर) में ऐसे दर्जन भर से ज्यादा कॉलेज हैं जिसका नाम इस धांधली में सामने आया हैं। इन कॉलेजों में जिन विषयों की मान्यता नहीं थी, उसमें भी 3786 छात्रों को परीक्षा दिलाकर पास कराये जाने की बात सामने आयी है। एक कॉलेज भी सामने आया जिसमें 1700 स्वीकृति सीटों की जगह पर 3456 छात्रों का नामांकन लिया गया। मगर दिलचस्प बात यह है कि इसी कॉलेज ने नामांकन के विरुद्ध 5340 छात्रों का परीक्षा फार्म भरवाकर उन्हें पास कराया।

कुछ ऐसी ही हालात मगध विवि (बोधगया), वीर कुंवर सिंह विवि (आरा), जय प्रकाश विवि (छपरा), बीएन मंडल विवि (मधेपुरा), तिलका मांझी भागलपुर विवि, मुंगेर विवि, पाटलीपुत्र विवि, एलएल मिश्र मिथिला विवि एवं कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि से 47 संबंधित डिग्री कॉलेजों की भी है। जहां से ‘पास कोर्स’ की स्वीकृति के अपोज में ‘आनर्स कोर्स’ में छात्र-छात्राओं का दाखिला लिया गया और परीक्षा में उत्तीर्ण भी कराया।

लंबे अरसे चल आ रही गड़बड़ी

गौरतलब है कि वर्ष 2008 में बिहार सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसले में सम्बद्ध डिग्री कॉलेजों को रिजल्ट के आधार पर अनुदान राशि देना शुरु किया था। उसी वक्त से अनुदान पाने की होड़ में ऐसे कॉलेजों ने गड़बड़ी शुरू कर दी है।

बता दें कि शैक्षणिक सत्र 2009-12 में रिजल्ट के नाम पर 288 करोड़ 37 लाख 19 हजार रुपये अनुदान दिया गया, लेकिन 78।45 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र शिक्षा विभाग को नहीं दिया। तब सीएजी ने आपत्ति जतायी थी, लेकिन यह मामला अब भी जस का तस बना हुआ है। विभाग के एक आला अधिकारी ने माना कि शिक्षा माफिया के इस कारनामे से सरकार के भरोसे को ठेस पहुंची है।

सरकार ने सत्र 2009-12 में कॉलेजों को उनके उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं के संख्या बल के दावे पर भरोसा कर अनुदान राशि दी थी। मगर इस भरोसे पर खरे नहीं उतरे। इस बार विवि, कॉलेज संकाय और विषयवार, संबद्धन प्रमाण पत्र, स्वीकृत सीटों, नामांकन, रजिस्ट्रेशन एवं परीक्षा में शामिल छात्रों की संख्या आदि की जांच करायी जा रही है।

जानें किस तरह की गड़बड़ी आई सामने

  • जिन डिग्री कॉलेजों को सरकार से संबद्धता की संपुष्टि (कनफर्म) नहीं हुई, उसे भी विवि द्वारा नामांकन लेने व परीक्षा कराने की छूट
    अनुदान प्रस्ताव को बिना जांचे किए विश्वविद्यालयों ने उसे शिक्षा विभाग को भेजा|
  • संबद्धन की अवधि विस्तार कराए बिना कॉलेजों ने विवि अफसरों की सांठगांठ से छात्रों को परीक्षा में शामिल कराया|
  • जिन विषयों में मान्यता नहीं उसमें भी छात्रों का नामांकन|
Badhta Bihar News
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