बिहार की वरिष्ठ लेखिका डॉ. उषाकिरण खान को भारत-भारती सम्मान

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उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के 2018 के सम्मानों की शुक्रवार को घोषणा की गई। संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सदानंद प्रसाद गुप्त की अध्यक्षता में समिति ने नामों का चयन किया। पांच लाख राशि वाले सबसे अहम पुरस्कार भारत-भारती सम्मान के लिए पटना की साहित्यकार डॉ. उषाकिरण खान का चयन किया गया।

वहीं, पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान लखनऊ के डॉ. ओम प्रकाश पांडेय को दिया जाएगा। भागलपुर के श्रीभगवान सिंह को महात्मा गांधी साहित्य सम्मान और पटना की डॉ. शांति जैन लोक भूषण सम्मान से नवाजा जाएगा। सौहार्द्र सम्मान (मैथिली) हैदराबाद की डॉ. अहिल्या मिश्र को प्रदान किया जाएगा।

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मिल चूका है साहित्य अकादमी और पद्मश्री सम्मान

उषाकिरण खान कहती हैं, ‘अभी मैं संस्मरणात्मक जीवनी लिख रही हूं। मेरे अलावा पिता व पति रामचंद्र खां का भी साहित्यकारों से गहरा जुड़ाव रहा है। इन सभी संस्मरणों को जीवनी की शक्ल में संजो रही हूं। हालांकि कार्यक्रमों की व्यस्तता और स्वास्थ्य कारणों से लिखना प्रभावित होता रहता है, मगर इसमें तन-मन से लगी हूं। इसके अलावा ‘आयाम’ संस्था से भी जुड़ी हूं जो महिला लेखिकाओं को प्रेरित करने का काम रही है। नया क्या पढ़ रही हैं, इस सवाल पर उषा जी कहती हैं कि हाल ही में अनंत विजय की ‘मार्क्‍सवाद का अर्धसत्य’ पढ़ी है।

उषाकिरण खान मूलरूप से लहेरियासराय की रहने वाली हैं। अभी वे पटना के श्रीकृष्णा नगर में रहती हैं। उन्हें वर्ष 2011 में उपन्यास ‘भामती’ के लिए साहित्य अकादमी जबकि वर्ष 2015 में पद्मश्री सम्मान भी मिल चुका है। उन्होंने बताया की सम्मान तो कई मिले हैं, मगर भारत-भारती सम्मान की अलग प्रतिष्ठा है। खुश तो हूं ही, आश्चर्य भी हुआ कि इतने बड़े सम्मान के लिए मेरा चयन किया गया। यह मेरे लिए भी गर्व की बात है कि कवि नागार्जुन जी के बाद मैं पहली बिहारी हूं जिसे यह सम्मान दिया जा रहा है। यह मेरे लिए सचमुच लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड ही है।

कवयित्री और गीतकार डॉ. शांति जैन को लोक भूषण सम्मान

लोकभूषण सम्मान से नवाजी गईं डॉ. शांति जैन मूलरूप से आरा की रहने वाली हैं। वे एचडी जैन कॉलेज, आरा में संस्कृत की प्रोफेसर रह चुकी हैं। वे बेहतरीन कवयित्री और गीतकार हैं। उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। फिलहाल वे पटना में रहती हैं।

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श्रीभगवान सिंह को महात्मा गांधी साहित्य सम्मान

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व प्राध्यापक व प्रख्यात आलोचक श्रीभगवान सिंह को उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान ने महात्मा गांधी साहित्य सम्मान के लिए चयनित किया है। यह सम्मान वर्ष 2018 के लिए दिया जाएगा। उन्हें पुरस्कारस्वरूप चार लाख की राशि दी जाएगी। श्रीभगवान सिंह तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से 34 वर्षो तक जुड़े रहे। उन पर गांधी की विचारधारा का गहरा प्रभाव रहा। उन्होंने अब तक उन्होंने गांधी की विचारधारा को लेकर आठ पुस्तकें लिखी हैं। सभी पुस्तकें आलोचनात्मक हैं।

बढ़ता बिहार टीम की तरफ से आप सभी को बहुत बहुत बधाई।