बीपीएससी द्वारा आयोजित न्यायिक सेवा परीक्षा में छात्रों ने बिखेरा जलवा

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बिहार लोक प्रशासनिक सेवा की न्यायिक परीक्षा में बिहारी होनहारों ने अपने बेहतर प्रदर्शन के दम पर अपने माता-पिता के साथ-साथ सूबे का नाम रोशन किया। इस परीक्षा में जमुई के नाइट गार्ड के बेटे ने बाजी मारी।

‘होनहार बिड़वान के होत चिकने पात’। इस मुहावरे  पर अनीश कुमार सिंह पूरी तरह फिट बैठते हैं। बतौर एक नाइट गार्ड की नौकरी कर मामूली तनख्वाह में पारिवार की गाड़ी खींचने वाले मनोहर सिंह के बड़ें पुत्र अनीश कुमार सिंह ने बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में परचम लहराया है। अनीश का कहना है कि दृढ़ निश्चय और लगन के बलबूते पर कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

गौरतलब है कि अनीश ने न्यायिक सेवा परीक्षा में सातवां स्थान हासिल किया है। गरीबी के कारण उन्होंने मैट्रिक तक की शिक्षा एक रिश्तेदार के घर पर रह कर पूरी की। विषम परिस्थितयों से संघर्ष करते सफलता हासिल करने के बाद वह इलाके के युवाओं के प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।

अनीश बरहट प्रखंड के लभेद के रहने वाले हैं। इनके पिता घर की माली हालत ठीक नहीं होने के कारण मनोहर दिल्ली में नाइट गार्ड की नौकरी करते हैं। अनीश की सफलता पर मां गुड्डी देवी व चाचा सुशील कुमार सिंह के खुशियों का ठिकाना नहीं है। चाचा के घर पर रहकर ही अनीश ने मैट्रिक तक की पढ़ाई की थी। अनीश का कहना है कि असफलता व समस्या से डटकर मुकाबला करने की सीख ने हमें मानसिक रूप से काफी मजबूत बना दिया है।

पटना के गौरव तीसरा स्थानन प्राप्त कर किया जिला का नाम रोशन

बता दें कि बीपीएसएसी की ओर से न्यापयिक सेवा परीक्षा ली गई थी। इस परीक्षा में पटना के 26 वर्षीय गौरव ने तीसरा स्थायन लाकर जिला का नाम रौशन किया है। उसकी इस सफलता पर उनके माता-पिता के साथ-2 पूरा मुहल्ला गौरवान्वित है। वर्ष 2009 में गौरव ने पटना के डीपीएस स्कूलल से 10वीं की परीक्षा पास की, जबकि उसने 2011 में शिवम स्कूल से इंटरमीडिएट किया। इसके बाद चाणक्या। लॉ यूनिवर्सिटी से लॉ की परीक्षा पास की।

गौरव के एक बड़ें भाई भी हैं, जो आइआइटीयन हैं। गौरव की दो बहनें हैं एक बहन बैंक में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं तो दूसरी बहन भी एमबीए है और मल्टी नेशनल कंपनी में जॉब कर रही है। गौरव के पिता समस्तीपुर जिला में रेलवे में वरीय डीपीओ के पद पर पोस्टे ड हैं।

गेसू ने साबित किया, शादी के बाद नहीं लगती सपनों के पंख को विराम

‘जहां चाह, वहां राह’ पंक्ति को पूरी तरह सही साबित करते हुए नालंदा की एक बहू ने इस परीक्षा में सफलता हासिल कर अपने ससुरालवालों को गौरवान्वित होने का मौका दिया। नालंदा की इस बहु ने अपनी सफलता से उन महिलाओं को धता बताते हुए एक मिसाल पेश की हैं जिनकी सोच है कि शादी के बाद महिलाओं का करियर लगभग खत्म-सा हो जाता है।

नालंदा के नूरसराय प्रखंड के सकरौढा गांव निवासी बृज किशोर सिंह ने इस बात को न सिर्फ कहीं पढ़ा और सुना, बल्कि उसे अपने निजी जीवन में अपनाया भी है। बहू भी बेटी होती है, व बेटियां बेटों से किसी मामले में कम नहीं होती। दरकार अगर है तो सिर्फ इस बात को समझने और अपने व्यवहारिक जीवन में उतारने की। नालंदा का ये परिवार इस बात पे अमल करते हुए एक जीता-जागता उदाहरण बनकर मिशाल पेश करने की ठानी और अपनी बहू को जज बनाने में कामयाब रही। गेसू ने पुणे के आईएलएस लॉ कॉलेज से मास्टर की डिग्री हासिल की है। 30 वीं न्यायिक सेवा परीक्षा का रिजल्ट आते ही पूरा परिवार खुशी से झूम उठा।

विदित हो कि गेसू का रैंक सूबे में 18वां है। इस तरह गेसू ने जज बनकर न सिर्फ अपना और अपने माता-पिता का बल्कि अपने ससुराल वालों का भी सपना साकार किया और उनका मान बढ़ाया है। पति अवनीश आनंद की मदद से गेसू ने ससुराल व मायके के बीच कुछ इस तरह सामंजस्य बैठाया कि वह इस परिवार की बेटी बन गई। सास सिया देवी व ससुर बृज किशोर सिंह ने गेसू की सफलता पर कहा कि यह मेरी बहू नहीं बेटी है।

गेसू का कहना है कि जब वह लॉ कर रही थी, तभी पिता मुकुल कुमार का निधन हो गया। इसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। मां रीता अवस्थी व पति अवनीश ने हिम्मत दिया तो प्राइवेट नौकरी से लंबा अवकाश लिया और दुबारा लॉ कॉलेज से पढ़ाई पूरी की। इसके बाद ज्यूडिशियरी सर्विस की तैयारी की और पहले प्रयास में ही सफल रही। गेसू अपने पति को अपना मेंटर बताती हैं। गेसू ने अपने पति की तारीफ करते हुए कहा कि वे जिस तरह नौकरी व फैमिली के बीच सामंजस्य बिठाकर मेंरी मदद की, उसकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है।

गेसू बचपन से ही जज बनना चाहती थी। वे जज बनकर लोगों को इंसाफ दिलाने का सपना देखती थी। जिसे अब वो हकीकत में पूरा करेंगी। पटना सेंट्रल स्कूल से 10 वीं व 12 वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे लॉ कॉलेज में एडमिशन ली। पढ़ाई के दौरान दो साल पहले शादी हुई, मगर फिर भी जज्बा कायम रहा। उन्होंौने कहा कि अगर इरादें बुलंद हों तो दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नही है।

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