बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड-केसीसी योजना का लाभ दिलाने के लिए कृषि विभाग ने 12 से 27 फरवरी के बीच 15 दिनों का विशेष अभियान चलाया था। इस अभियान के तहत 3 लाख 2 हजार 626 किसानों ने केसीसी के लिए आवेदन दिया है। अब तक कुल आवेदकों में से बैंकों ने 29 हजार 41 किसानों को केसीसी दे दिया है। बाकी बचे हुए किसानों को भी के केसीसी योजना सीसी का लाभ दिलाने के लिए सरकार प्रयासरत है।
बता दें कि बुधवार को विधानसभा की पहली पाली में नवाज आलम, भोला यादव और यदुवंश कुमार यादव के ध्यानाकर्षण के जवाब में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बैंकों की ओर से केसीसी देने में आनाकानी करने की शिकायत आते रहती है। इसके लिए हर तीन महीने पर होने वाली एसएलबीसी और कृषि उपकमेटि की बैठक में बैंकों को आवश्यक निर्देश दिया जाता है, लेकिन यह भी सच्चाई है कि बिहार में पिछले 6 सालों में 49 लाख 65 हजार नए किसानों को केसीसी दिया गया है। साथ ही 1 करोड़ 7 लाख किसानों के केसीसी का रिन्यूअल हुआ है। 2019-20 में एक लाख 20 हजार 372 नए केसीसी तो 14 लाख 36 हजार 400 पुराने का रिन्यूअल हुआ है। किसानों को दिए जाने वाले कर्ज में 24 फीसदी नहीं लौटाए जाने के कारण एनपीए हो रहा है।
अबतक 1 करोड़ 7 लाख किसानों को मिल चुका है इस योजना का लाभ
गौरतलब है कि बिहार के उपमुख्यमंत्री ने बैंकों से किसानों को मिलने वाले कर्ज को लेकर कहा है कि 2019-20 में दिसम्बर 2019 तक 60 हजार करोड़ की तुलना में 28 हजार 764 करोड़ कर्ज दिए गए जो लक्ष्य का 47 फीसदी है। कृषि टर्म लोन 15 हजार 752 करोड़ में से 11 हजार 101 करोड़, केसीसी में 13393 करोड़, कृषि यांत्रिकीकरण में 3755 करोड़ में से 270 करोड़, कृषि आधारभूत संरचना में 4390 करोड़ में से 113 करोड़ कर्ज के रूप में किसानों को दिया गया है। इसी तरह भंडारण सुविधा में 3144 करोड़ में से 14 करोड़, खाद्य एवं कृषि प्रसंस्करण में 3347 करोड़ में से 694 करोड़, डेयरी में 4029 करोड़ में से 861 करोड़, मत्स्य में 960 करोड़ में से 19 करोड़ और मुर्गीपालन में 1671 करोड़ में से 102 करोड़ कर्ज दिए गए हैं।
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