कोरोना संकट के बीच बिहार में जॉब के सुनहरे अवसर, इस योजना से मिलेगा रोजगार

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2006
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देश-दुनिया में कोरोना वायरस अपने घातक प्रभाव से लोगों की ज़िंदगी को डमाडोल कर चुका है. कोरोना संकट में बढ़ती बेरोजगारी औऱ गिरती अर्थव्यव्स्थआ से विश्व के अन्य देशों की तरह भारत भी काफी दयनीय वक्त से गुजर रहा है, लेकिन इस मुश्किल वक्त में भी बिहार में जॉब के लिए यहां के युवा अपने हुनर से बेरोजगारी को मात देने की कोशिश कर रहे हैं. युवाओं के इस सराहनीय काम में इंडिया बीपीओ प्रमोशन योजना यानि आइबीपीएस उनके लिए संजीवनी बूटी का काम रही है.

बता दें कि इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के आइबीपीएस के तहत विजन इंडिया कंपनी शहर का पहला बीपीओ यानी बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग सेंटर है. इसके तहत जनवरी से जुलाई तक 4998  लोगों को को प्रशिक्षण देने का काम किया गया है. जबकि कोरोना संकट के बीच 2308  लोगों को रोजगार मिला है. खबरों की मानें तो इसके बारे जानकारी देते हुये कटरा की रूपा कुमारी ने कहा कि पारिवारिक संकट से वह रोजगार से जुडऩा चाहती थीं. इस बीच विजन इंडिया संस्था से जुड़ीं और अब डाटा मैनेजमेंट का जॉब कर रही हूं.

रुपा के अलावे भी अन्य कई लोगों को मिला बिहार में जॉब

विजन इंडिया संस्था के बारे में कांटी की श्वेता कुमारी ने बताया कि इस संस्था से मेरे जैसी कई युवतियों को बिहार में जॉब मिला है. वहीं हाजीपुर के बासुदेवपुर चपुटा निवासी संस्था के सीईओ विवेक कुमार के मुताबिक कंपनी ने एक सर्वेक्षण कराया था. जिससे पता चला कि बड़े शहरों में चल रहे बीपीओ में अमूमन 56 फीसद कर्मचारी छोटे शहरों से आकर काम करते हैं. छोटे शहरों से पलायन करने का मूल कारण रोजगार के अवसरों की कमी है. इससे प्रेरणा लेते हुए हमने तय किया कि छोटे शहरों में बीपीओ केंद्र खोलेंगे.

उन्होंन कहा कि मुजफ्फरपुर इसी फैसले का एक परिणाम है. यहां केंद्र खोलने के रास्ते में कई तरह का संकट था. हालांकि, उन्होंन कहा कि आइबीपीएस में निहित विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहनों से इस समस्या का समाधान हो गया. इस योजना के बारे में विस्तार से बताते हुये उन्होंने कहा कि इसमें सरकार के कुछ मानकों पर खरा उतरने पर प्रति सीट एक लाख रुपये तक के आवंटन का प्रावधान है. योजना का लाभ उठाते हुए युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है.

मुख्यत:  यहां डाटा इंट्री ऑपरेटर, कॉल सेंटर एग्जीक्यूटिव होता है क्लास

उल्लेखनीय है कि सरकार के सहयोग से चल रही पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के तहत पटियासा में एक सेंटर का संचालित हो रहा है. इस संस्था के प्रबंधक राजीव रंजन ने बताया कि पहले यहां बेरोजगार युवकों को बुलाकर प्रशिक्षण दिया जाता था, लेकिन अब तरीका बदल गया है. अब बच्चों को ऑनलाइन आवेदन दिया जाता है और ऑनलाइन ही कोर्स कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ये कोर्स एक से तीन माह का होता है.

यह संस्था निबंधन, क्लास व बिहार में जॉब दिलाने तक फीस नहीं लेती है. उनका कहना है कि यहां बिहार के मुज़फ्फरपुर सहित दूसरे प्रदेश के बच्चे भी प्रशिक्षण ले रहे हैं. यहां अबतक जिले के 750 युवाओं को रोजगार मिला है. साथ ही उन्होंने कहा कि यहां डाटा इंट्री ऑपरेटर, कॉल सेंटर एग्जीक्यूटिव, गैस पाइप लाइन ऑपरेटर, सोलर पैनल इंस्टॉलेशन स्पेशलिस्ट, डिजिटल मार्केटिंग और साइबर सिक्यूरिटी का कोर्स मुख्य रूप से कराया जाता है.

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