बिहार विधानसभा चुनाव 2020 को देखते हुए सभी पार्टियां अपनी-2 जीत के लिए लगभग सभी गणितीय समीकरण के साथ प्रयोग कर रही है। इस प्रयोग के बीच उनकी उम्मीद कहीं न कहीं यही होगी कि कोई न कोई समीकरण सफल हो ही जाएगा। दरअसल, बात यह है कि लालू प्रसाद की पार्टी ने । जदयू की अहम सदस्य एवं वरिष्ठ नेता व प्रोफेसर कुमकुम राय को राष्ट्रीय टीम में ऊंचा ओहदा देते हुए राष्ट्रीय सचिव बना दिया है। अब जदयू नेता को राष्ट्रीय सचिव बनाने आरजेडी के इस फैसले को जदयू प्रेम माना जाए या शीर्ष स्तर की गलती?
बता दें कि लालू प्रसाद की पार्टी ने जदयू की अहम सदस्य एवं वरिष्ठ नेता व प्रोफेसर कुमकुम राय को राष्ट्रीय टीम में ऊंचा ओहदा दिया है। राजद ने कुमकुम को अपनी नेशनल टीम में राष्ट्रीय सचिव बनाया है। हैरानी की बात तो यह कि राजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव एस. एम. कमर आलम ने गुरुवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मीडिया को कुमकुम राय के मनोनित किये जाने के संबंध में जानकारी दी। साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि लालू प्रसाद से अनुमति लेने के बाद ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की जा रही है। किंतु कुमकुम ने देर रात राजद के दावे को खारिज करते हुए खुद को जदयू के साथ बताया।
जानें कौन सच्चा कौन झूठा
गौरतलब है कि कुमकुम राय ने एक मीडिया हाउस के साथ हुयी बातचीत में यह कहा है कि वे वह लालू प्रसाद के साथ नहीं, बल्कि नीतीश कुमार के साथ हैं। पता नहीं कैसे उन्हें राजद में पदाधिकारी बना दिया गया है। कुमकुम का कहना है कि उन्होंने 19 अगस्त 2019 को ही राजद छोड़कर जदयू की सदस्यता ले ली थी। अब मेरी पूरी आस्था मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ है। ऐसे में लालू की नई टीम में कुमकुम के शामिल होने से राजद की सक्रियता और सजगता पर सवाल उठना लाजिमी है। आखिर जिस कुमकुम ने सात महीने पहले पाला बदलकर राजद को अलविदा कह दिया उन्हें किस आधार पर राजद की शीर्ष टीम में पदाधिकारी बना दिया गया। अब दुविधा इस बात की है कि आखिरकार किसे सच माना जाए और सच तक कैसे पहुंचा जाए।
बिहार में अल्पसंख्यकों का मसीहा कौन? जानें, किसने कितना काम किया