बिहार में कोरोना वायरस का संकट गहराता ही जा रहा है। सूबे में अब तक 378 पॉजिटिव केस मिल चुके हैं, और 38 में से 28 जिले अब कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुका है। नीतीश सरकार लगातार यह दावा कर रही है कि जांच किट और मास्क की कोई कमी नहीं है। साथ ही स्वास्थ्यकर्मियों को हर तरह की सुविधा दी जा रही है। मंगल पांडे आंकड़ों के माध्यम से यह दावे करते हैं कि कोरोना जांच से संबंधित कोई किट की कमी नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे की बातें कहीं न कहीं झूठ साबित हो रही हैं।
कोरोना के कारण स्वास्थ्कर्मी का हाल है बेहाल
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कोरोना जांच किट उपलब्धता को लेकर पैसा की कोई कमी नहीं होने की बात कर चुके हैं। जबकि, इस सब से इतर हकीकत यह है कि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के विभाग में स्वास्थ्यकर्मियों को मास्क के लिए सड़क पर लेट कर घिघियाना पड़ रहा है। बड़ा सवाल है कि संसाधन के नाम पर बिहार में पानी की तरह पैसे बहाए जा रहे,लेकिन कर्मियों को मास्क के लिए जमीन पर लेटना पड़ रहा है।
बता दें कि यह तस्वीर मोतिहारी की है, जहां के स्वास्थ्यकर्मी मास्क और किट को लेकर सिविल सर्जन से गुहार लगा रहे हैं। स्वास्थ्यकर्मी के गुहार के बावजूद भी सिविल सर्जन ने अपने स्वास्थ्यकर्मी, जो कोरोना जांच में लगे हैं. उनको मास्क और पीपीई किट उपलब्ध नहीं कराया। स्वास्थ्यकर्मी मामूली मास्क के लिए घिघिया रहे, बावजूद इसके अधिकारियों का दिल नहीं पसीज रहा। जब अधिकारी का दिल नहीं पसीजा तो कर्मी गाड़ी के आगे जमीन पर लेट गए।
यह मामला है चिंता का विषय
ईधर, बात बनती न देख मजबूर होकर स्वास्थ्यकर्मी सिविल सर्जन की गाड़ी के आगे लेट गए. वे मांग करने लगे कि जब तक मास्क और किट की उपलब्धता नहीं होगी, आपको आगे नहीं बढ़ने देंगे। इस घटना के बाद मामला बढ़ गया। सिविलसर्जन मान-मनौव्वल करते रहे, लेकिन स्वास्थ्यकर्मी नहीं मान रहे थे। अंत में आश्वासन दिया कि स्वास्थ्यकर्मियों को तत्काल मास्क का प्रबंध किया जाएगा।
विदित हो कि मोतिहारी में अब तक पांच पॉजिटिव केस मिले हैं। जिले के बंजरिया प्रखंड में तीन और अरेराज में एक पॉजिटिव केस मिला है। स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि नोडल अधिकारी पॉजिटिव मरीज की जांच के लिए भेज रहे लेकिन मास्क और किट हीं दिया जा रहा। ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि आखिर कैसे स्वास्थ्यकर्मी अपनी ड्यूटी ढ़ग से पूरी कर पाऐंगे?