भारत के ज्यादातर राज्यों के किसान प्रकृति की मार, मॉनसून के असमय आगमन, उम्मीद से कम बारिश, उचित सुविधा की कमी, उत्तम बीजों की अनुपलब्धता आदि के कारण सही उपज न होने से चिंतित रहते है। ऐसे राज्यों की कृषि उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से कम है। इसके उलट बिहार एक ऐसा राज्य है, जहां उपजाऊ मिट्टी, उत्तम बीजों की उपलब्धता, पर्याप्त मात्रा में भूगर्भीय जल तथा खेती के अनुकूल जलवायु होने के बावजूद भी यहां कृषि की उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।
गौरतलब है कि बिहार की कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए बीते दिनों कृषि विभाग द्वारा किसान चौपाल योजनाआयोजित की गयी। यह किसान चौपाल रबी मौसम में 20 नवम्बर से 5 दिसम्बर तक चली। इसी के संबंध में बिहार के कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने बताया कि इस कार्यक्रम का आयोजन बिहार के 8,355 पंचायतों में किया गया। कृषि मंत्री के अनुसार इस किसान चौपाल में सूबे के 17,51,325 किसान भाई-बहनों ने भ्रमण किया। किसानों के अलावा 25,545 जनप्रतिनिधि ने भी हिस्सा लिया।
बिहार की उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से नीचे
कृषि मंत्री ने कहा कि मैं अफसोस के साथ कह रहा हूं कि कुछ अत्यंत आवश्यक कार्यों को पूरा करने के चलते कुछ पंचायतों में अब तक किसान चौपाल योजना का आयोजन शुरु नहीं किया जा सका है। कृषि उत्पादकता बढ़ाने के संबंध में उन्होंने कहा, राज्य में कृषि विभाग द्वारा फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में बढ़ोतरी के लिए विभिन्न योजनाओं को शुरु किया जा रहा है। बिहार में अनुकूल जलवायु के साथ-साथ लगभग सभी सुविधाओं के होने के बावजूद भी फसलों की उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से नीचे है।
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डॉ कुमार ने कहा, कृषि विभाग द्वारा सभी योजनाओं की जानकारी किसानों तक पहुंचाने, कृषि की आधुनिक तकनीक से किसानों को रुबरु कराने व कृषि संबंधी सम्स्याओं की जानकारी एवं उसके समाधान के लिए सुझाव पाने के उद्देश्य से खरीफ एवं रबी दोनों मौसम में बीते कई वर्षों से किसान चौपाल कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस योजना में कृषि एवं इससे संबंधित क्षेत्रों में संचालित किये जा रहे विभिन्न योजनाओं के बारे में आवश्यक जानकारी दी जाती है। किसान चौपाल कार्यक्रम के आयोजन से किसानों को जागरुक करने में मदद मिलती है, व सभी योजनाओं के लिए उनका फीडबैक भी लिया जाता है।
होता है वातावरण प्रदूषित
कृषि मंत्री के मुताबिक फसल की कटाई के बाद समयाभाव और मजदूरों की कमी के कारण किसान फसल के अवशेषों को खेतों में ही जला देतें हैं। इससे वातावरण प्रदूषित होता है, व मिट्टी की उर्वरा में कमी आ जाती है, साथ ही यह मनुष्य के स्वास्थ पर भी कुप्रभाव डालता है। इस कार्यक्रम के माध्यम से डॉ प्रेम कुमार सूबे के किसानों से फसल के अवशेषों को खेतों में न जलाने की गुजारिश की। उन्होंने किसान भाई-बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि फसल के अवशेष के लिए कुछ ठोस और उचित प्रबंध करें। अगर जलाते हैं तो जलाने के बाद उसे मिट्टी में मिलाकर वर्मी कमपोस्ट बना लें, जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनी रहेगी। साथ-2 वे खुद और वातावरण दोनों दुरुस्त रहेंगे।
अंत में कृषि मंत्री ने इस किसान चौपाल के आयोजन से केंद्र व राज्य सरकार के महत्वाकांक्षा के बारे में लोगों को जानकारी दी। उन्होंने कहा, इस किसान चौपाल से प्रधानमंत्री की पहल है कि वे 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी कर देंगे। साथ ही राज्य सरकार नीतीश कुमार का लक्ष्य हर भारतीय की थाली में बिहार का एक व्यंजन पहुंचाने की है।