Friday, March 29, 2024
Homeक्राइमसांसदों, विधायकों पर दर्ज आपराधिक मामले तेजी से निपटाए जाएं: सुप्रीम कोर्ट

सांसदों, विधायकों पर दर्ज आपराधिक मामले तेजी से निपटाए जाएं: सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को पूर्व और वर्तमान सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों के तेजी से निपटारे पर जोर दिया। केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा कि इन मामलों को एक निश्चित समय-सीमा में उनके नतीजों तक पहुंचाना जरूरी है। न्यायमूर्ति एनवी रमन की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इन मामलों के तेजी से निस्तारण के बारे में न्याय-मित्र विजय हंसारिया के सुझावों पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। मेहता ने कहा कि अगर विधि निर्माताओं के खिलाफ लंबित मामलों में उच्च न्यायालय ने कार्यवाही पर रोक लगाई तो शीर्ष अदालत को उसे ऐसे मामले में निश्चित समय-सीमा के भीतर निर्णय करने का निर्देश देना चाहिए।

मेहता ने कहा,’शीर्ष अदालत जो भी निर्देश देगी, भारत सरकार उसका स्वागत करेगी।’ उन्होंने कहा कि यदि विशेष अदालतों में बुनियादी सुविधाओं से संबंधित कोई मसला है तो शीर्ष अदालत संबंधित राज्य सरकार को ऐसे मामले में ज्यादा से ज्यादा एक महीने में आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दे सकती है।’

न्याय-मित्र हंसारिया,अधिवक्ता सांसदों और विधायकों के खिलाफ ध्यान आकर्षित किया

इससे पहले, वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई शुरू होते ही न्याय-मित्र हंसारिया और अधिवक्ता स्नेहा कलिता ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों के विवरण की ओर पीठ का ध्यान आकर्षित किया। हंसारिया ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत अनेक मामलों पर कर्नाटक जैसे उच्च न्यायालयों ने रोक लगा रखी है। इसी तरह भ्रष्टाचार निरोधक कानून तथा धनशोधन रोकथाम कानून के तहत अनेक मामलों पर तेलंगाना उच्च न्यायालय ने रोक लगा रखी है। कई ऐसे भी मामले हैं, जिनमें आरोप भी निर्धारित नहीं हुए हैं।

पीठ ने इस पर टिप्पणी की कि लोक अभियोजक की नियुक्ति नहीं होना, आरोप-पत्र दाखिल नहीं होना और गवाहों को नहीं बुलाने जैसे कई मुद्दे हैं। न्यायालय ने कहा कि अगर राज्य में सिर्फ एक ही विशेष अदालत होगी तो समयबद्ध तरीके से मुकदमों का निस्तारण संभव नहीं है। इस पर मेहता ने कहा कि न्यायालय एक विशेष अदालत में एक निश्चित संख्या में मुकदमें रखने पर विचार कर सकती है। उन्होंने राज्य विशेष के भौगोलिक पहलू का भी जिक्र किया और कहा कि उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश विशेष अदालतों के लिए मुकदमों की संख्या निर्धारित कर सकते हैं।

 जनरल के सुझावों पर विचार कर रिपोर्ट में उठाए गए मुद्दों पर भी आदेश पारित

पीठ ने कहा कि वह सॉलिसीटर जनरल के सुझावों पर विचार करेगी और रिपोर्ट में उठाए गए मुद्दों पर भी आदेश पारित करेगी। मेहता ने इस सुझाव से सहमति व्यक्त की कि उम्रकैद की सजा वाले अपराधों और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत दर्ज मामलों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। हंसारिया ने सुझाव दिया था कि मौत या उम्रकैद की सजा के अपराध वाले मामलों के बाद विशेष अदालत को एससी-एसटी (अत्याचारों की रोकथाम) कानून और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून जैसे कानूनों के तहत दर्ज मामलों की सुनवाई करनी चाहिए।

न्याय-मित्र ने सूचित किया

4442 मामलों में नेताओं पर मुकदमे चल रहे हैं। इनमें से 2556 आरोपी तो वर्तमान में सांसद-विधायक हैं। 200 से ज्यादा मामले सांसदों और विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून, धनशोधन रोकथाम कानून और पोक्सो कानून के तहत। एक दर्जन से ज्यादा सांसदों और विधायकों (पूर्व और वर्तमान) के खिलाफ आयकर कानून, कंपनी कानून, एनडीपीएस कानून, आबकारी कानून तथा शस्त्र कानून के तहत मामले चल रहे हैं।

रक्सौल में भारत-नेपाल सीमा पर 258 करोड़ का ब्राउन शुगर जब्त
Badhta Bihar News
Badhta Bihar News
बिहार की सभी ताज़ा ख़बरों के लिए पढ़िए बढ़ता बिहार, बिहार के जिलों से जुड़ी तमाम अपडेट्स के साथ हम आपके पास लाते है सबसे पहले, सबसे सटीक खबर, पढ़िए बिहार से जुडी तमाम खबरें अपने भरोसेमंद डिजिटल प्लेटफार्म बढ़ता बिहार पर।
RELATED ARTICLES

Most Popular