नालंदा खुला विश्वविद्यालय के बापू सभागार में 11 दिसम्बर को दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। बिहार के राज्यपाल व कुलाधिपति फागु चौहान इस समारोह मे बतौर अध्यक्ष शामिल हुए। सामारोह के संचालन की पूरी जिम्मेदारी कुलसचिव विंग कमांडर एस.के.शर्मा ने पूरी की, जबकि धन्यवाद ज्ञापन का फर्ज प्रतिकुलपति डॉ कृतेश्वर प्रसाद ने निभाया।
दीक्षांत समारोह को महामहिम फागु चौहान ने किया संबोधित
राज्यपाल नालंदा खुला विश्वविद्यालय के 14वें दीक्षांत समारोह को राज्यपाल फागु चौहान ने बतौर अध्यक्ष संबोधित किया। इस समारोह में कुल 27 विजेताओं को स्वर्ण पदक से नवाजा गया। यह समारोह खास तब बन गया जब सम्मानित सभी 27 विदार्थियों के नामों की घोषणा में से में से 19 छात्राएं रहीं।
श्री चौहान ने अपने संबोधन के दौरान कहा, कि सर्वोच्च स्तर का यह प्रदर्शन बेटियों के बढ़ते वर्चस्व को मैं अच्छे सामाजिक बदलाव के साथ नारी सशक्तिकरण के प्रयासों की सफलता के रुप में भी देखता हूं। यह बदलाव ही हमारे देश और समाज को सही अर्थों में विकसित देश और समुन्नत समाज के रुप में प्रतिष्ठा दिला सकता है।
उपाधि के लिए 7836 छात्रों के नामों की हुयी घोषणा
बता दें कि सामारोह में विद्यार्थियों को स्वर्णपदक एवं उपाधियों के वितरण का कार्य राज्यपाल फागु चौहान एवं शिक्षा मंत्री ने किया। समारोह में 7836 छात्रों को उपाधि दिये जाने की घोषणा हुयी। मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा समेत कई विश्वविद्यालयों के प्रशासनिक अधिकारी व शिक्षकगण भी समारोह के दौरान उपस्थित रहें।
दीक्षांत समारोह को लेकर राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत वास्तव में पढ़ाई का अंत नही है, बल्कि यह जीवन की लम्बी यात्रा का एक पड़ाव है। उन्होंने बिहार की एतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासतों का उल्लेख करते हुए कहा कि नालंदा एवं विक्रमशिला के प्राचीन विश्वविद्यालय इसी बिहार राज्य में पल्लवित एवं पुष्पित हुए। प्राचीन धर्म, दर्शन एवं साहित्य के क्षेत्र में इस राज्य ने विश्व को भरपूर प्रभावित किया।
आगे श्री चौहान ने कहा कि विश्व का प्रथम एवं प्राचीनतम गणतंत्र वैशाली का लिच्छवी गणराज्य इसी बिहार राज्य में सुविकसित हुआ था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी गांधीजी ने बिहार के चंपारण से ही अपनीकर्मयात्रा का श्रीगणेश किया था।
राज्यपाल ने मानवीय मूल्यों को गले लगाने की दी नसीहत
राज्यपान ने डिग्री एवं पदक प्राप्त करने वाले विद्याथियों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अपना लक्ष्य सदैव महान रखिए, अपनी उर्जा पर विश्वास रखिए और हार मत मानिए। आपको सफलता अवश्य मिलेंगी। संघर्ष ही सफलता की कुंजी है। राज्यपाल फागु चौहान ने कहा कि हम सबको भारतीय संस्कृति के आदर्श के मानवीय मूल्यों को आत्मसात करना चाहिए। आत्म-संयम चरित्र निर्माण का मेरुदंड है। नैतिक मूल्यों और मर्यादाओं की रक्षा से ही सामाजिक बुराईयों पर अंकुश लग सकता है। स्वस्थ शरीरी, स्वस्थ मन और स्वस्थ विचार ही जीवन को भयमुक्त बनाते है।
राज्यपाल ने खुला विश्वविद्यालय की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस विश्वविद्यालय में आज 100 से अधिक पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं। लगभग 2000 से अधिक विद्यार्थियों की संख्या अब 01 लाख 25 हज़ार से ज्यादा में तब्दील हो चुकी है। यह विश्वविद्यालय सामाजिक दायित्व-निर्वहण में भी सदैव तत्पर रहता है। यह विश्वविद्यालय जेल में कैदियों को निशुल्क शिक्षा,स्त्रियों के लिए 25 प्रतिशत की आर्थिक छूट व विकलांगों को विशेष सहायता दे रही है।
महामहिम फागु चौहान ने कहा कि सरकार का यह संकल्प है कि बिहार राज्य में उच्च शिक्षा को सकल नामांकन अनुपात में वृर्द्धि की जाए। इस व्यापक लक्ष्य को हासिल करने में दूरस्थ शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने इस कदम को प्रशंसा योग्य बताया और कहा कि उच्च शिक्षा को पिछड़े ग्रामीण स्तर तक पहुंचाने के लिए प्रखंड स्तर पर भी नालंदा विश्वविद्यालय के अध्यनन केंद्र खोले गए है।
शिक्षा मंत्री उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार का दिया दिलासा
बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन प्रसाद वर्मा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि शहर से लेकर गांव तक शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए सरकार की कुछ महत्वाकांक्षी योजनाएं संचालित हो रही हैं। श्री वर्मा राज्यपाल के मार्गदर्शन एवं मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उच्च शिक्षा में तेजी से सुधार होने की बात कही।
श्री वर्मा नियमित रुप से दीक्षांत समारोहों के आयोजन व सही समय पर शैक्षणिक सत्रों के संचालन के सार्थकता का उल्लेख करते हुए कहा कि संसाधनों की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि बिहार में तेजी से शैक्षणिक विकास हो रहा है। राज्य में शिक्षा के समुचित विकास के लिए पर्याप्त बजटीय प्रावधान किए जाने की बात करते हुए विश्वास दिलाया कि उच्च शिक्षा में तेजी से विकास होगा।
प्रो. आर. के. भटनागर ने युवाओं को बताया राष्ट्र निर्माण की कुंजी
इस दीक्षांत समारोह में काशी हिंदु विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो। आर। के। भटनागर भी आमंत्रित थे। प्रो। भटनागर ने अपने संबोधन में राष्ट्र के युवा को राष्ट्र निर्माण की कुंजी बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में युवाओं की अग्रणी भूमिका होती है। वे 21 वीं सदी को शोध एवं अनुसंधान की सदी बताया।
अंत में नालंदा खुला विश्वविद्यालय के प्रो। गुलाब चंद राम जायसवाल ने विश्वविद्यालय के उपलब्द्धियों की जानकारी दी।