पूरे देश में कोरोना का कहर जारी है। कोरोना से बचाव के लिए पूरे देश में 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित किया जा चुका है। इस दौरान कई लोगों बेरोजगार हो गए हैं। देश के कई जगहों से दिहाड़ी मजदूरों के पलायन की खबर आ रही है। खाने-पीने को मोहताज मजदूर पैदल ही अपने घर को रवाना हो गए हैं। हरियाणा से कुछ मजदूर के शनिवार को नोखा पहुंचने पर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया।
खबर के मुताबिक हरियाणा में रहकर गुजर-बसर करने वाले 17 मजदूरों की नौकरी लॉकडाउन होने के बाद चली गई. जिसके बाद खाने-पीने को मोहताज मजदूर पैदल ही हरियाणा से बिहार के लिए निकल पड़े. पूरे दिन हरियाणा-वाराणसी हाईवे पर पैदल चलने के बाद सभी मजदूर थक कर सड़क किनारे ही सो गए थे। बिहार निवासी 17 मजदूर हरियाणा से 23 मार्च को चले थे। 24 मार्च को कानपुर पहुंचे। इस दौरान उनको कई परेशानियों का सामना करना पड़ा।
हरियाणा से पैदल बिहार
मजदूरों ने बताया कि कोरोना वायरस से बचाव को लेकर लॉकडाउन के बाद मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है। दूसरे प्रदेशों में काम करने वाले मजदूर घर लौट रहे हैं। ये सभी मजदूर हरियाणा में नमकीन फैक्ट्री में काम करते थे। लॉक डाउन के बाद सभी 17 मजदूर हरियाणा से पैदल बिहार जाने के लिए निकले। रास्ते में उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कानपुर पहुंचे बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी सुधीर कुमार ने बताया कि एक माह पहले अपने 17 साथियों के साथ हरियाणा के नमकीन फैक्ट्री में काम करने के लिए गया था। अभी 25 दिन ही हो पाए थे कि सरकार के आदेश पर नमकीन फैक्ट्री को बंद कर दिया गया।
मालिक ने दो-दो हजार रुपये देकर घर भेजा
इसके बाद नमकीन मालिक ने दो हजार रुपये देकर उन्हें घर भेज दिया। मगर हरियाणा में कर्फ्यू लगा हुआ है। इस कारण कोई वाहन नहीं चल रहा। वे अपने साथियों के साथ पैदल ही घर के लिए निकल लिए।
रास्ते में खाने और पीने का सामान भी नहीं मिला। इस कारण भूखे पेट चल रहे हैं। रास्ते में जो मिल जाता है, उसी से पेट भर लेते हैं। उन्हें करीब 1200 किलोमीटर दूर अपने जिले में जाना है। मजदूरों में प्रभास, संजीत, श्याम, विनोद, सुग्रीव, पवन, गुलशन, रंजीत, दीपनारायण, भूपेंद्र, मनोज, अर्जुन आदि शामिल हैं।
हरियाणा से अपने गांव मुजफ्फरपुर के औराई थाना के मेहसउथा एवं सीतामढ़ी पैदल ही जा रहे 17 मजदूर शनिवार को नोखा पहुंचे। नोखा पहुंचे मजदूर बिंदे साह,बच्चे साह,शिबू साह,ललन साह ,प्रिंस कुमार ने बताया कि रास्ते में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा ।परन्तु यूपी में कई जगह उन्हें प्रशासन की मदद भी मिली।हलांकि गाड़ी की व्यवस्था कोई नहीं करा सके।
लॉकडाउन के बाद फैक्ट्री बन्द
हरियाणा के पलवल जिला अंतर्गत होडल स्थित एक नमकीन फैक्ट्री में मजदूरी करने वाले सत्रह मजदूर लॉक डाउन के बाद 23 मार्च को पैदल ही गांव के लिए चल दिये। मजदूरों ने बताया कि वे कई वर्षों से वहां फैक्ट्री में काम करते आ रहे हैं। परन्तु लॉक डाउन के बाद फैक्ट्री बन्द होने की घोषणा होते ही उनके समक्ष वहां रहने की कोई वजह नहीं रह गयी थी। इस बीच ट्रेन भी बन्द हो गयी जिससे भारी समस्या उत्पन्न हो गयी और वे लोग पैदल ही गांव चल दिये। हरियाणा -दिल्ली से मुजफ्फरपुर के लिए लगभग बारह सौ किमी के सफर पर पैदल निकल पड़े मजदूरों ने बताया कि 23 मार्च को उनके फैक्ट्री मालिक ने उन्हें पैसे देकर दिल्ली तक पहुंचवा दिया। फिर दिल्ली से आगरा की 233 किमी का सफर वे दो दिनों में तय कर आगरा पहुंचे। आगरा से 30 किमी पैदल चलकर वे टूंडला पहुंचे जहां से एक ट्रक वाले ने उन्हें इटावा तक छोड़ा। इसके बाद इटावा से कानपुर पैदल चलकर पहुंचे ।
कानपुर से सासाराम ट्रक द्वारा पहुंचे।जहां प्रखण्ड मुख्यालय पर बाहर से आये 17 मजदूरों के पहुंचने की खबर प्रशासन को दी गयी।एसडीओ राजकुमार गुप्ता, बीडीओ रामजी पासवान एवं इओ सुशील कुमार प्रखण्ड मुख्यालय पहुंचे। इसके बाद कालीमंदिर धर्मशाला स्थित आश्रय स्थल पर मजदूरों को खाना खिलाया गया एवं पीएचसी के डॉ. संदीप कुमार के नेतृत्व में मेडिकल टीम के द्वारा उनकी जांच की गई। डॉ. संदीप कुमार ने बताया कि सभी मजदूर स्वस्थ्य हैं परन्तु उन्हें 14 दिन के लिए होम कोरेंटाईन पर रहने की सलाह दी गयी है।